उच्चतम न्यायालय ने 2015 में बेटियों की हत्या करने वाली महिला की सजा कम की

उच्चतम न्यायालय ने 2015 में बेटियों की हत्या करने वाली महिला की सजा कम की

उच्चतम न्यायालय ने 2015 में बेटियों की हत्या करने वाली महिला की सजा कम की
Modified Date: April 28, 2025 / 10:49 pm IST
Published Date: April 28, 2025 10:49 pm IST

नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ की एक महिला की सजा में संशोधन करते हुए सोमवार को कहा कि उसकी बेटियों की हत्या के पीछे की मंशा साबित नहीं हो सकी।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने भादंसं की धारा 302 (हत्या) को हटाकर धारा 304, भाग-एक (गैर-इरादतन हत्या) कर दिया।

महिला नौ वर्ष से अधिक समय तक हिरासत में रह चुकी है। शीर्ष अदालत ने उसे बिना जुर्माने के इस अवधि की सजा सुनाई तथा परिणामस्वरूप उसे रिहा करने का निर्देश दिया।

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पीठ ने कहा कि जांच अधिकारी गवाहों के साक्ष्य, हथियार की बरामदगी और चिकित्सा साक्ष्य से संतुष्ट प्रतीत होते हैं तथा वे इस कृत्य के पीछे की मंशा की जांच किए बिना यह साबित करने का प्रयास कर रहे हैं कि महिला ने ही हत्या की है।

पांच जून 2015 को सुबह करीब नौ बजे छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के भरदकला गांव में महिला ने अपनी बेटियों पर लोहे की छड़ से जानलेवा हमला कर दिया।

इस घटना को महिला की रिश्तेदार ने देखा जो उसी घर में रहती थी।

महिला ने अपराध कबूल करने से इनकार किया तथा दावा किया कि उसे घटना की कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि उस पर ‘‘किसी अदृश्य शक्ति’’ का कब्जा है।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने माना कि महिला ने अपने बच्चों के सिर पर हथियार से वार करके उनकी हत्या की।

भाषा नेत्रपाल सुरेश

सुरेश


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