उच्चतम न्यायालय ने अग्रिम जमानत याचिका पर 30-40 पृष्ठों का आदेश पारित करने पर आपत्ति जताई

उच्चतम न्यायालय ने अग्रिम जमानत याचिका पर 30-40 पृष्ठों का आदेश पारित करने पर आपत्ति जताई

उच्चतम न्यायालय ने अग्रिम जमानत याचिका पर 30-40 पृष्ठों का आदेश पारित करने पर आपत्ति जताई
Modified Date: February 21, 2025 / 08:32 pm IST
Published Date: February 21, 2025 8:32 pm IST

नयी दिल्ली, 21 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत याचिका का निपटारा करते समय 30 से 40 पृष्ठों का आदेश पारित करने पर शुक्रवार को आपत्ति व्यक्त की।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘दिल्ली उच्च न्यायालय में जो कुछ हो रहा है, वह घृणित है। अग्रिम जमानत याचिका का निपटारा करते समय उच्च न्यायालय द्वारा 30-40 पृष्ठ लिखना, निचली अदालत को यह संकेत देने जैसा है कि आपके पास दोषी ठहराने के लिए यह एक कारण है। मूलतः यह एक दोषसिद्धि आदेश है।’’

उच्चतम न्यायालय धोखाधड़ी के एक मामले में चिकित्सक आधार खेड़ा की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

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खेड़ा ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया, जिसने छह फरवरी को अपने 34 पृष्ठ के आदेश में उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया था।

खेड़ा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि याचिकाकर्ता के पिता ही याचिकाकर्ता और उसकी मां के माध्यम से एक फर्म का संचालन कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने उनकी भूमिका को उनके पिता के बराबर बताया तथा याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देने से इनकार करने में इस तथ्य की अनदेखी कर दी कि वह मामले की जांच में शामिल हुए थे।

लूथरा ने दलील दी कि मामले में आरोप-पत्र दाखिल कर दिया गया है।

इसके बाद, पीठ ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा और खेड़ा को मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया।

भाषा

देवेंद्र दिलीप

दिलीप


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