नई दिल्ली। Supreme court on reservation petition: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को देश में आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने याचिका को कानूनी ‘प्रक्रिया का दुरुपयोग’ करार दिया।
Read More: फीका हुआ नए साल का जश्न, राजधानी में इतने दिनों के लिए धारा-144 लागू, आदेश जारी
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस.नरसिम्हा की पीठ ने कहा, “आरक्षण की व्यवस्था को हटाइए? यह क्या है? क्यों? क्योंकि आप कह रहे हैं कि यह समानता के खिलाफ है और यह जाति व्यवस्था की ओर ले जा रहा है। हम जुर्माना लगाने जा रहे हैं।” अदालत की टिप्पणियों के बाद जनहित याचिकाकर्ता, एलएलएम की छात्रा शिवानी पंवार के वकील ने न्यायालय से अपनी याचिका वापस लेने का अनुरोध किया।
वकील ने संक्षिप्त निवेदन के दौरान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए निर्वाचन क्षेत्रों के आरक्षण का उदाहरण दिया और कहा कि अन्य समुदायों के लोगों को चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिलता है। पीठ ने चेतावनी दी कि अगर याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका वापस नहीं ली तो वह जुर्माना लगाएगी।