अग्रिम जमानत के लिए वादी को पहले सत्र अदालत जाना चाहिए या नहीं, उच्चतम न्यायालय करेगा निर्णय

अग्रिम जमानत के लिए वादी को पहले सत्र अदालत जाना चाहिए या नहीं, उच्चतम न्यायालय करेगा निर्णय

अग्रिम जमानत के लिए वादी को पहले सत्र अदालत जाना चाहिए या नहीं, उच्चतम न्यायालय करेगा निर्णय
Modified Date: September 8, 2025 / 06:45 pm IST
Published Date: September 8, 2025 6:45 pm IST

नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह इस बात की पड़ताल करेगा कि अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय जाने का विकल्प ‘‘पक्षकार चुनेगा’’ या वादियों के लिए पहले सत्र न्यायालय जाना अनिवार्य होगा।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने केरल उच्च न्यायालय की उस ‘‘परिपाटी’’ का संज्ञान लिया, जिसमें वादी द्वारा सत्र अदालत का रुख किए बिना ही अग्रिम जमानत की अर्जियों पर सीधे विचार किया जाता है।

पीठ ने सवाल किया, ‘‘एक मुद्दा जो हमें परेशान कर रहा है, यह है कि केरल उच्च न्यायालय में यह एक परिपाटी बन गई नजर आ रही है कि उच्च न्यायालय वादी के सत्र अदालत का रुख किये बिना ही अग्रिम जमानत की अर्जियों पर सीधे विचार कर लेता है। ऐसा क्यों है?’’

 ⁠

शीर्ष अदालत ने कहा कि पूर्ववर्ती दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 में इस संबंध में एक प्रक्रिया का उल्लेख है।

बीएनएसएस की धारा 482 गिरफ्तारी की आशंका वाले व्यक्ति को जमानत देने के निर्देश से संबंधित है।

पीठ ने कहा, ‘‘ऐसा किसी अन्य राज्य में नहीं होता। केवल केरल उच्च न्यायालय में ही हमने देखा है कि नियमित रूप से (अग्रिम जमानत के लिए) अर्जियों पर सीधे विचार किया जा रहा है।’’

शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी दो व्यक्तियों द्वारा केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।

पीठ ने मामले में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने सत्र अदालत में गए बिना ही राहत के लिए सीधे उच्च न्यायालय का रुख किया।

यह पाया गया कि उच्च न्यायालय ने आवेदक के सत्र अदालत का रुख किए बिना ही ऐसी अर्जियों पर सीधे विचार कर लिया, जिसके परिणामस्वरूप उपयुक्त तथ्य रिकॉर्ड में नहीं रखे जा सके, जो सत्र अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए जा सकते थे।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पहलू पर विचार करने और यह तय करने के लिए इच्छुक हैं कि क्या उच्च न्यायालय जाने का विकल्प पक्षकार की इच्छा पर निर्भर होगा या यह अनिवार्य होना चाहिए कि आरोपी पहले सत्र अदालत जाए।’’

शीर्ष अदालत ने इस पहलू पर केरल उच्च न्यायालय को उसके रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से नोटिस जारी किया।

पीठ ने इस मामले में सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा को न्यायमित्र नियुक्त किया और मामले की सुनवाई 14 अक्टूबर के लिए मुल्तवी कर दी।

भाषा सुभाष सुरेश

सुरेश


लेखक के बारे में