न्यायालय गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले की सुनवाई 13 फरवरी को करेगा

न्यायालय गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले की सुनवाई 13 फरवरी को करेगा

न्यायालय गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले की सुनवाई 13 फरवरी को करेगा
Modified Date: January 16, 2025 / 02:39 pm IST
Published Date: January 16, 2025 2:39 pm IST

नयी दिल्ली, 16 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में गुजरात सरकार और कई अन्य दोषियों द्वारा दायर अपील पर 13 फरवरी को सुनवाई करेगा।

न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई पर मामले में कोई स्थगन नहीं दिया जाएगा।

गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे और राज्य में दंगे भड़क गए थे।

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गुजरात उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2017 के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में कई अपील दायर की गई हैं। उच्च न्यायाल के इस फैसले में कई दोषियों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा गया था और 11 लोगों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था।

गुजरात सरकार ने फरवरी 2023 में शीर्ष अदालत को बताया था कि वह उन 11 दोषियों के लिए मृत्युदंड का अनुरोध करेगी, जिनकी सजा को उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास में बदल दिया था।

मामला जब बृहस्पतिवार को सुनवाई के लिए आया, तो एक दोषी की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि कोई सबूत रिकॉर्ड में नहीं रखा गया है।

न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा, ‘‘हमें नहीं पता। हम मामले की सुनवाई करेंगे और हमने पहले भी यह स्पष्ट किया था। हम इस मामले को स्थगित नहीं करेंगे। इस मामले को कम से कम पांच बार स्थगित किया जा चुका है। पिछले एक साल से मैं इस मामले को स्थगित कर रहा हूं।’’

वकील ने अदालत को बताया कि कुछ दोषियों ने माफी के लिए याचिका दायर की है जो लंबित है। मामले को स्थगित करने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘हमें मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय से निर्देश मिले हैं कि आपराधिक अपील और माफी के मामलों की एक साथ सुनवाई करने की जरूरत नहीं है।’’

दोषियों में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के खिलाफ गुजरात की अपील पर पहले सुनवाई होनी चाहिए।

हेगड़े ने कहा, ‘‘22 साल बीत चुके हैं… मेरे मुवक्किलों को मृत्युदंड नहीं दिया गया है। पीठ को पहले दोष की पुष्टि करनी होगी। पुष्टि होने पर सजा सुनाई जाती है। जब हम इस पर विचार करेंगे, तो संभवतः इसमें समय लगेगा। अगर आप तीन न्यायाधीशों के समक्ष मामले को भेजेंगे तो प्रभावी निर्णय होगा।’’

इसके बाद दोषियों की ओर से पेश वकीलों द्वारा और समय देने का अनुरोध करने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 13 फरवरी तक टाल दी।

इससे पहले उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने कहा था कि इस मामले में निचली अदालत ने 11 दोषियों को मृत्युदंड दिया था और 20 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

वकील ने कहा था कि उच्च न्यायालय ने मामले में 31 दोषियों को दोषी करार दिया था और 11 दोषियों के मृत्युदंड को उम्रकैद में बदल दिया था।

राज्य ने जहां 11 दोषियों के मृत्युदंड को उम्रकैद में बदलने के खिलाफ अपील की है, वहीं कई दोषियों ने मामले में उनकी सजा को बरकरार रखने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है।

भाषा सुरभि नरेश

नरेश


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