न्यायालय ने क्लर्क की वरिष्ठता को चुनौती देने वाली केरल सरकार की याचिका को ‘विलासिता वाद’ करार दिया |

न्यायालय ने क्लर्क की वरिष्ठता को चुनौती देने वाली केरल सरकार की याचिका को ‘विलासिता वाद’ करार दिया

न्यायालय ने क्लर्क की वरिष्ठता को चुनौती देने वाली केरल सरकार की याचिका को ‘विलासिता वाद’ करार दिया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:00 PM IST, Published Date : May 13, 2022/10:46 pm IST

नयी दिल्ली, 13मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक अपर डिवीजन क्लर्क की वरिष्ठता को बरकरार रखने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल करने के लिए केरल सरकार की खिंचाई की और याचिका को ‘‘ विलासिता वाद’’ करार देते हुए खारिज कर दिया।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा, ‘‘अपर डिवीजन क्लर्क के मामले में,जिसे वरिष्ठता दी गयी है, उसमें क्या उच्चतम न्यायालय के पास हस्तक्षेप के लिए कुछ है। यह विलासिता वाद है। हम कानून की अदालत भर नहीं है बल्कि न्याय की अदालत भी हैं।’’

शीर्ष अदालत ने केरल उच्च न्यायालय के 17 जनवरी 2022 के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘ एक अपर डिविजन क्लर्क को वरिष्ठता दी गई है और राज्य सरकार उसे यहां चुनौती दे रही है। आप कुछ बेहतर क्यों नहीं करते? आप स्कूल, सड़कें,अस्पताल और अन्य ढांचागत निर्माण कर सकते हैं।’’

याचिका पर सुनवाई की शुरुआत में राज्य की पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि व्यक्ति अपर डिवीजन क्लर्क के पद पर प्रोन्नति पाने के दौरान बगैर मंजूरी के छुट्टी पर था और उसकी वरिष्ठता ड्यूटी दोबारा शुरू करने की तारीख से पुनरीक्षित की गई।

उन्होंने कहा कि बिना मंजूरी वाली छुट्टी की अवधि को सेवा संबंधित किसी भी लाभ के लिए मान्य नहीं माना जा सकता।

इस पर न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि वह छुट्टी पर था, ड्यूटी पर अनुपस्थित नहीं था और दोनों में फर्क है।

पीठ ने कहा, ‘‘ आप लोग केवल इसलिए विलासिता वाद में शामिल हैं क्योंकि आप एक राज्य हैं। ’’

पीठ ने साथ ही कहा कि उसकी (क्लर्क )तरफ से कोई धोखाधड़ी नहीं की गई है।

केरल उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष अपने आदेश में कहा था कि वह व्यक्ति जो शिक्षा विभाग में लोवर डिविजन क्लर्क के रूप में शामिल हुआ था, अपना पद और वरिष्ठता अंतिम वरिष्ठता सूची के अनुरूप बरकरार रखने का हकदार है।

केरल सरकार ने उच्च न्यायालय के इस आदेश के उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।

भाषा

शोभना पवनेश

पवनेश

 

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