ram mandir in ayodhya

1 जून को CM योगी रखेंगे राम मंदिर के गर्भ गृह निर्माण की पहली शिला, जानें अब तक क्या-क्या काम हुआ

ram mandir in ayodhya : अब तक श्रीराम मंदिर के चबूतरे के निर्माण में 17000 ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया जाना है।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:47 PM IST, Published Date : May 24, 2022/12:35 pm IST

अयोध्या। ram mandir in ayodhya : उत्तर प्रदेश में बने रहे भव्य राम मंदिर के निर्माण का काम जोरो पर चल रहा है। इसी क्रम में अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1 जून को राम मंदिर गर्भ गृह के निर्माण की पहली शिला रखेंगे। श्रीराम मंदिर निर्माण तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से जारी बयान में इसकी जानकारी दी है।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<

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बतया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उस दिन गर्भगृह निर्माण की पहली शिला रखेंगे। वहीं भव्य राम मंदिर 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मालूम होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था। इसके बाद मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ। वहीं अब तक श्रीराम मंदिर के चबूतरे के निर्माण में 17000 ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया जाना है। इस चबूतरे में लगाए जाने वाले 17000 में से 5000 पत्थर अभी तक लगाए जा चुके हैं। चलिए आपको बताते हैं अब तक क्या-क्या काम पूरा हुआ।

ram mandir in ayodhya :  उत्खनन- निर्धारित मंदिर स्थल और उसके आसपास लगभग 6 एकड़ भूमि से लगभग 1.85 लाख घन मीटर मलबा और पुरानी ढीली मिट्टी को हटाया गया। इस काम में करीब 3 महीने (जनवरी-फरवरी-मार्च, 2021) लगे। ये स्थल एक विशाल खुली खदान की तरह दिखता था। गर्भगृह में 14 मीटर की गहराई और उसके चारों ओर 12 मीटर की गहराई वाला मलबा व बालू हटाई गई, एक बड़ा गहरा गड्ढा बन गया।

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मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) मंदिर और परकोटा (प्राचीर) के निर्माण के लिए ठेकेदार नियुक्त हैं। टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स (टीसीई) परियोजना प्रबंधन सलाहकार नियुक्त हैं और 4 इंजीनियर हैं जगदीश आफले पुणे आईआईटी-मुंबई, गिरीश सहस्त्रभुजनी गोवा आईआईटी-मुंबई, जगन्नाथजी औरंगाबाद, अविनाश संगमनेरकर नागपुर।

ram mandir in ayodhya :  एलएंडटी ने भविष्य के मंदिर की नींव के लिए एक डिजाइन का प्रारूप बनाया था, उसके अनुरूप परीक्षण किया गया था, लेकिन आशानुरूप परिणाम नहीं आए तो इस विचार को स्थगित कर दिया गया, यह परीक्षण अगस्त-सितंबर-अक्टूबर, 2020 में किया गया था।
नवंबर-2020 के महीने में, निदेशक (सेवानिवृत्त)-आईआईटी-दिल्ली की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। समिति के अन्य सदस्य निदेशक (वर्तमान)-आईआईटी-गुवाहाटी, निदेशक (वर्तमान)-एनआईटी-सूरत, दिल्ली, मुंबई और चेन्नई के आईआईटी के प्रोफेसर, निदेशक-सीबीआरआई-रुड़की, एलएंडटी और टीसीई की ओर से वरिष्ठ इंजीनियर थे, निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र की प्रेरणा से यह विशेषज्ञ समिति बनी थी।

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बैक-फिलिंग और मिट्टी को सुदृढ़ करने के लिए रोलर कॉम्पैक्ट कंक्रीट (आरसीसी) का उपयोग- चेन्नई आईआईटी के प्रोफेसरों ने इस विशाल गड्ढे को भरने के लिए विशेष इंजीनियरिंग मिश्रण का सुझाव दिया। आरसीसी कंक्रीट को सुझाई गई विधि परत दर परत के रूप में कंक्रीट डालना था। 12 इंच की एक परत को 10 टन भारी क्षमता वाले रोलर से 10 इंच तक दबाया जाता था। घनत्व मापा जाता था। गर्भगृह में 56 परत और शेष क्षेत्र में 48 परतों को डाला गया। इसे पूरा होने में अप्रैल 2021 से सितंबर 2021 तक लगभग 6 महीने लगे। इस फिलिंग को ‘मिट्टी सुदृढ़ीकरण द्वारा भूमि सुधार’ नाम दिया गया।

मानव निर्मित चट्टान- ये कहा जा सकता है कि मिट्टी के भीतर एक विशाल मानव निर्मित चट्टान, कम से कम 1,000 वर्षों के लिए दीर्घायु और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बनाई है।

ram mandir in ayodhya :   कह सकते हैं कि RCC और RAFT दोनों संयुक्त रूप से, भविष्य के मंदिर सुपर-स्ट्रक्चर की नींव के रूप में कार्य करेंगे। देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों और संगठनों के सामूहिक विमर्श का यह परिणाम है। इस RAFT को पूरा होने में अक्टूबर 2021 से जनवरी 2021 तक 4 महीने लगे।

मंदिर के गर्भगृह क्षेत्र के अंदर राजस्थान की मकराना पहाड़ियों के सफेद संगमरमर का प्रयोग किया जाएगा। मकराना संगमरमर की नक्काशी का कार्य प्रगति पर है और इनमें से कुछ नक्काशीदार संगमरमर के ब्लॉक भी अयोध्या पहुंचने लगे हैं।

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राजस्थान के भरतपुर जिले में बंसी-पहाड़पुर क्षेत्र की पहाड़ियों से गुलाबी बलुआ पत्थरों का उपयोग मंदिर निर्माण में किया जा रहा है। मंदिर में करीब 4.70 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा। राजस्थान में सिरोही जिले के पिंडवाड़ा कस्बे में नक्काशी स्थल से नक्काशीदार पत्थर अयोध्या पहुंचने लगे हैं।

मंदिर के आयाम

भूतल पर पूर्व-पश्चिम दिशा में लंबाई- 380 फीट।
भूतल पर उत्तर-दक्षिण दिशा में चौड़ाई- 250 फीट।
गर्भगृह पर जमीन से शिखर की ऊंचाई- 161 फीट।
बलुआ पत्थर के स्तंभ- भूतल-166, प्रथम तल-144, दूसरा तल- 82 (कुल-392)
आम तौर पर हर महीने निर्माण समिति सभी इंजीनियरों और वास्तुकारों के साथ नृपेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में 2 से 3 दिनों तक बैठती है और प्रत्येक विवरण पर बहुत बारीकी से चर्चा करती है।

 
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