कोलकाता और ठाणे की घटनाओं ने एक बार फिर विशेष त्वरित अदालतों की ओर ध्यान आकर्षित किया

कोलकाता और ठाणे की घटनाओं ने एक बार फिर विशेष त्वरित अदालतों की ओर ध्यान आकर्षित किया

कोलकाता और ठाणे की घटनाओं ने एक बार फिर विशेष त्वरित अदालतों की ओर ध्यान आकर्षित किया
Modified Date: August 25, 2024 / 06:27 pm IST
Published Date: August 25, 2024 6:27 pm IST

नयी दिल्ली, 25 अगस्त (भाषा) कोलकाता की एक चिकित्सक से कथित बलात्कार और हत्या तथा ठाणे में दो स्कूली बच्चियों के यौन उत्पीड़न की हालिया घटनाओं को लेकर देशभर में आक्रोश है जिसके कारण महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में त्वरित सुनवाई की मांग की जा रही है।

इन घटनाओं ने एक बार फिर विशेष त्वरित अदालतों की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

केंद्र सरकार के अधिकारियों ने कहा कि लगभग पांच साल पहले शुरू की गई ‘विशेष त्वरित अदालत’ योजना के जरिये मामलों का समय पर निपटारा हुआ है।

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सरकार ने 2019 में विशेष त्वरित अदालत (एफटीएससी) योजना शुरू की और तब से इन अदालतों ने 2.53 लाख से अधिक मामलों का निपटारा किया है।

विधि मंत्रालय के न्याय विभाग के अधिकारियों ने कहा कि कुछ मुकदमों में, इन विशेष अदालतों ने आरोपियों को काफी कम समय – चार दिन से लेकर चार महीने तक – में दोषी करार दिया है।

वर्ष 2018 में आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम के पारित होने के बाद, सरकार ने 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1,023 एफटीएससी स्थापित करने का निर्णय लिया था, जिनमें 389 अदालतें विशेष रूप से यौन अपराधों से बाल संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के मामलों से निपटने के लिए थीं।

अधिकारियों ने बताया कि 30 जून तक, 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 409 विशेष पॉक्सो अदालतों सहित 752 विशेष त्वरित अदालतें काम कर रही थीं।

अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक पॉक्सो अदालत ने आठ वर्षीय बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में मुकदमा शुरू होने के 90 दिनों के भीतर दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में केरल की एक पॉक्सो अदालत ने पांच साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या के अपराध के मात्र 109 दिनों के भीतर 28 वर्षीय दोषी व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई।

अधिकारियों ने बताया कि 2022 में, बिहार के अररिया में एक पॉक्सो अदालत ने छह साल की बच्ची से बलात्कार के एक मामले में चार दिन में सुनवाई पूरी की और दोषी को मौत की सजा सुनाई।

भाषा शफीक संतोष

संतोष


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