Love Jihad: इस मुस्लिम संस्था के अध्यक्ष ने किया ‘लव जिहाद’ कानून का समर्थन, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से 3 हफ्तों में मांगा जवाब

Supreme Court on 'Love Jihad' : अखिल भारतीय पसमांदा मुस्लिम मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष जावेद मलिक ने इन कानूनों के समर्थन में याचिका दाखिल की है। उनकी याचिका पर सुनवाई फिलहाल टल गई है और अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 28 जनवरी को करेगा।

Love Jihad: इस मुस्लिम संस्था के अध्यक्ष ने किया ‘लव जिहाद’ कानून का समर्थन, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से 3 हफ्तों में मांगा जवाब
Modified Date: December 16, 2025 / 08:26 pm IST
Published Date: December 16, 2025 8:08 pm IST
HIGHLIGHTS
  • राज्यों को 3 हफ्तों में जवाब दाखिल करने का निर्देश
  • समर्थन और विरोध दोनों पक्षों की दलीलें
  • कानूनों का गलत इस्तेमाल की आशंका

नई दिल्ली: Supreme Court on ‘Love Jihad’, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात समेत कई राज्यों में लागू किए गए ‘लव जिहाद’ और अनैतिक धर्मांतरण रोकने वाले कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। इसी बीच अखिल भारतीय पसमांदा मुस्लिम मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष जावेद मलिक ने इन कानूनों के समर्थन में याचिका दाखिल की है। उनकी याचिका पर सुनवाई फिलहाल टल गई है और अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 28 जनवरी को करेगा।

राज्यों को 3 हफ्तों में जवाब दाखिल करने का निर्देश

चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जनवरी के तीसरे हफ्ते में इस मामले की अंतिम सुनवाई होगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे तीन हफ्तों के भीतर अपना जवाब दाखिल करें। कोर्ट ने जावेद मलिक को आश्वासन दिया कि उनकी याचिका को बाकी याचिकाओं के साथ ही सुना जाएगा।

समर्थन और विरोध दोनों पक्षों की दलीलें

Supreme Court on ‘Love Jihad’, जावेद मलिक ने अपनी याचिका में कहा है कि ये कानून समाज में शांति बनाए रखने और जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए जरूरी हैं। वहीं, विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये कानून अंतर-धार्मिक जोड़ों को परेशान करने और व्यक्तिगत फैसलों में हस्तक्षेप करने का जरिया बन गए हैं। उनका आरोप है कि इन कानूनों की आड़ में किसी भी व्यक्ति को बिना वजह धर्मांतरण के आरोप में फंसाया जा सकता है, जिससे सामाजिक तनाव बढ़ता है।

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गलत इस्तेमाल की आशंका

जमीयत उलेमा-ए-हिंद और सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस जैसे संगठनों ने भी याचिकाएं दाखिल की हैं। उनका कहना है कि इन कानूनों का गलत इस्तेमाल होने की संभावना है और इससे धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com