शीर्ष अदालत ने मप्र उच्च न्यायालय के याचिका दायर करने में 1612 दिन की देरी माफ करने पर नाराजगी जताई
शीर्ष अदालत ने मप्र उच्च न्यायालय के याचिका दायर करने में 1612 दिन की देरी माफ करने पर नाराजगी जताई
नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार की ओर से एक दीवानी विवाद में याचिका दायर करने में 1,612 दिनों की देरी को माफ करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उसे आश्चर्य है कि क्या अदालत इस मुद्दे पर पहले के फैसलों से अवगत थी।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने इस तथ्य पर संज्ञान लिया कि एक सितंबर को उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछे बिना ही देरी को माफ कर दिया।
शीर्ष अदालत ने पांच दिसंबर के अपने फैसले में कहा, ‘‘विवादित आदेश के लहजे से हमें यह कहते हुए निराशा हो रही है कि उच्च न्यायालय ने राज्य द्वारा दिए जा सकने वाले पर्याप्त कारण को उजागर किए बिना, केवल अनुरोध करने पर ही 1,612 दिनों की देरी को माफ कर दिया।’’
विलंब पर माफी से संबंधित न्यायालय के पूर्व के फैसलों का हवाला देते हुए, पीठ ने कहा कि परिसीमा और विलंब की माफी के संबंध में कानून अच्छी तरह से स्थापित है और पूछा कि क्या उच्च न्यायालय उन निर्णयों से अवगत था।
शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘‘परिसीमा और विलंब को माफ करने के संबंध में कानून सुस्थापित है। हमें आश्चर्य है कि क्या उच्च न्यायालय इस न्यायालय के निम्नलिखित निर्णयों से अवगत है: भारत संघ बनाम जहांगीर बायरामजी जीजीभॉय, शिवम्मा (मृत) के कानूनी वारिस बनाम कर्नाटक हाउसिंग बोर्ड और अन्य।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हाल के दिनों में, इस अदालत ने ऐसे फैसले सुनाए हैं जिनमें यह स्पष्ट किया गया है कि पर्याप्त कारण की जांच किस प्रकार की जानी चाहिए और देरी की माफी के लिए याचिका पर कैसे विचार किया जाना चाहिए।’’
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि देरी कोविड-19 महामारी के कारण हुई है।
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के एक सितंबर के आदेश में देरी का ऐसा कोई कारण नहीं बताया गया है।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘उपरोक्त परिस्थितियों में, हम उच्च न्यायालय द्वारा पारित उक्त आदेश को रद्द करते हैं और विलंब को माफ करने के मामले में हस्तक्षेप करने संबंधी याचिका पर पुनर्विचार के लिए मामले को उच्च न्यायालय को वापस भेजते हैं।’’
पीठ ने मामले का निस्तारण करते हुए कहा, ‘‘उच्च न्यायालय पक्षों को एक बार फिर सुनेगा और कानून के अनुसार नया आदेश पारित करेगा।’’
भाषा धीरज दिलीप
दिलीप

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