‘पुलिस राज’ से मुक्ति के लिए लाये गए आपराधिक कानूनों से संबंधित ये विधेयक: निशिकांत दुबे |

‘पुलिस राज’ से मुक्ति के लिए लाये गए आपराधिक कानूनों से संबंधित ये विधेयक: निशिकांत दुबे

‘पुलिस राज’ से मुक्ति के लिए लाये गए आपराधिक कानूनों से संबंधित ये विधेयक: निशिकांत दुबे

:   Modified Date:  December 20, 2023 / 01:11 PM IST, Published Date : December 20, 2023/1:11 pm IST

नयी दिल्ली, 20 दिसंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद निशिकांत दुबे ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि आपराधिक कानूनों से संबंधित विधेयक देश में ‘पुलिस राज’ से मुक्ति और गुलामी की निशानियों को मिटाकर भारतीय परंपरा को स्थापित करने के लिए लाये गए हैं।

उन्होंने भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पर बुधवार को अधूरी रह गई चर्चा को आगे बढ़ाते हुए यह टिप्पणी की।

भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए इन्हें लाया गया है।

दुबे ने कहा कि इन विधेयकों से देश के लोगों को राहत पहुंचने वाला है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने मैकॉले की शिक्षा पद्धति को खत्म किया और अब अंग्रेजों के समय के कानून को बदला जा रहा है।

दुबे ने कहा कि संसद की स्थायी समिति ने विधेयक में बदलाव की सिफारिश की तो नये विधेयक लाये गये और इनमें समिति की सिफारिशों को शामिल किया गया।

उन्होंने कहा कि यह सरकार आम जनता की सरकार है और वह कभी ‘पुलिस राज’ नहीं बनने देगी।

दुबे ने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का धन्यवाद करना चाहता हूं कि वे (जनता को) पुलिस राज से मुक्त करने के लिए ये विधेयक लेकर आए हैं।’’

उन्होंने तंज कसा कि जिस कांग्रेस ने (बाबा साहेब भीमराव) आंबेडकर को ‘हरवाया’, जोगेंद्रनाथ मंडल को पाकिस्तान जाने के लिए मजबूर किया, बाबू जगजीवन राम को कांग्रेस छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया, आज वही कांग्रेस मल्लिकार्जुन खरगे को प्रधानमंत्री बनाने की बात कर रही है।

दुबे का कहना था कि पहले कभी किसी विपक्षी पार्टी ने (सुरक्षा में चूक के मामले में) संसद में व्यवधान डालने का प्रयास नहीं किया, क्योंकि यहां सुरक्षा की जिम्मेदारी लोकसभा सचिवालय की है।

उन्होंने कहा कि ये विधेयक पारित न हों, इसलिए कांग्रेस राजनीति कर रही है।

भाजपा सांसद के अनुसार, विपक्ष का कहना है कि फांसी की सजा न हो, आखिर फांसी की सजा क्यों नहीं हो?

उन्होंने कहा, ‘‘दाऊद इब्राहीम आए और विस्फोट करके चला जाए तो फांसी की सजा क्यों नहीं होगी।’’

दुबे ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की मानसिकता हिंदी-विरोध की है।

भाजपा सांसद का कहना था, ‘‘हम शुक्रगुजार हैं कि मुगलों और अंग्रेजों की निशानी को मिटाकर भारतीय परंपरा को स्थापित करने के लिए ये विधेयक लाये गए हैं।’’

भाषा हक

हक सुरेश

सुरेश

 

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