हम सभी को मिलकर अगले 10 वर्षों में देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करना होगा: प्रधानमंत्री मोदी

हम सभी को मिलकर अगले 10 वर्षों में देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करना होगा: प्रधानमंत्री मोदी

हम सभी को मिलकर अगले 10 वर्षों में देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करना होगा: प्रधानमंत्री मोदी
Modified Date: December 6, 2025 / 08:25 pm IST
Published Date: December 6, 2025 8:25 pm IST

नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से अगले 10 वर्षों में देश को गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्त करने का शनिवार को आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज हर क्षेत्र औपनिवेशिक मानसिकता को त्याग रहा है और गर्व के साथ नयी उपलब्धियों का लक्ष्य बना रहा है।

उन्होंने कहा कि ‘‘हिंदू विकास दर’’ शब्द का प्रयोग तब किया गया था जब भारत 2-3 प्रतिशत की विकास दर के लिए तरस गया था।

मोदी ने कहा, ‘‘भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोने वाली मैकाले की नीति 2035 में 200 वर्ष पूरे कर लेगी। इसका मतलब है कि अभी 10 वर्ष बाकी हैं। इसलिए, इन्हीं 10 वर्षों में हम सभी को मिलकर अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त कराना होगा।’’

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‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘देश के विकास को उसके लोगों की आस्था और उनकी पहचान से जोड़ना… यह उपनिवेशवाद की मानसिकता का प्रतीक था।’’

मोदी ने कहा कि यह साबित करने का प्रयास किया गया कि भारत की धीमी विकास दर का कारण हिंदू संस्कृति है।

उन्होंने कहा, ‘‘आज के बुद्धिजीवी जो हर चीज में सांप्रदायिकता ढूंढते रहते हैं, उन्हें ‘हिंदू विकास दर’ कहने पर सांप्रदायिकता नहीं दिखी। उनके समय में यह संज्ञान किताबों और शोध पत्रों का हिस्सा बनी थी।’’

उन्होंने कहा कि भारत उच्च विकास और निम्न मुद्रास्फीति का एक मॉडल है। उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की 8.2 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर दर्शाती है कि वह वैश्विक अर्थव्यवस्था का विकास इंजन बन रहा है।

मोदी ने कहा, ‘‘भारत का आत्मविश्वास ‘उपनिवेशवाद की मानसिकता’ से हिल गया था, लेकिन अब हम इससे आगे बढ़ रहे हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया अनिश्चितताओं से भरी है, भारत एक अलग ही लीग में नजर आ रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत में हो रहे बदलाव सिर्फ संभावनाओं के बारे में नहीं हैं, बल्कि बदलती सोच और दिशा की गाथा हैं।

मोदी ने कहा, ‘‘हम ऐसे मोड़ पर खड़े हैं, जहां 21वीं सदी का एक-चौथाई हिस्सा बीत चुका है। दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं: वित्तीय संकट, वैश्विक महामारी, प्रौद्योगिकी व्यवधान, हम युद्ध देख रहे हैं, ये स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया के लिए चुनौती बनी हुई हैं।’’

उन्होंने कहा कि विश्व अनिश्चितताओं से भरा है, लेकिन भारत को एक अलग ही लीग में देखा जा रहा है।

मोदी ने कहा, ‘‘भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब आर्थिक सुस्ती की बात होती है, तो भारत विकास की कहानी लिखता है। जब दुनिया में विश्वास की कमी होती है, तो भारत भरोसे का स्तंभ बन रहा है, जब दुनिया टुकड़ों में बंटी है, तो भारत सेतु का काम करता है।’’

दूसरी तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के आठ प्रतिशत से अधिक के आंकड़े की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी गति का प्रतीक है।’’

मोदी ने कहा, ‘‘यह सिर्फ एक संख्या नहीं है, बल्कि एक मजबूत व्यापक आर्थिक संकेत है। यह संदेश है कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का विकास इंजन बन रहा है।’’

उन्होंने बताया कि वैश्विक वृद्धि दर लगभग तीन प्रतिशत है, जबकि जी-7 अर्थव्यवस्थाएं औसतन लगभग 1.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही हैं।

मोदी ने कहा, ‘‘ऐसे समय में भारत उच्च विकास और कम मुद्रास्फीति का एक मॉडल है।’’

उन्होंने अपने संबोधन में कहा, ‘‘एक समय था जब लोग, विशेषकर हमारे देश के अर्थशास्त्री, उच्च मुद्रास्फीति को लेकर चिंता व्यक्त करते थे, लेकिन वही लोग अब मुद्रास्फीति के कम होने की बात करते हैं।’’

मोदी ने कहा कि भारत की उपलब्धियां साधारण नहीं हैं, यह संख्याओं की बात नहीं है, बल्कि पिछले दशक में आए मूलभूत बदलावों की बात है।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव


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