ट्रेन दुर्घटना: रेलवे ने चालक की चूक से इनकार किया, साजिश के पहलू से जांच जारी |

ट्रेन दुर्घटना: रेलवे ने चालक की चूक से इनकार किया, साजिश के पहलू से जांच जारी

ट्रेन दुर्घटना: रेलवे ने चालक की चूक से इनकार किया, साजिश के पहलू से जांच जारी

:   Modified Date:  June 4, 2023 / 09:48 PM IST, Published Date : June 4, 2023/9:48 pm IST

(तस्वीरों के साथ)

नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) रेलवे ने ओडिशा ट्रेन हादसे में रविवार को एक तरह से चालक की गलती और प्रणाली की खराबी की संभावना से इनकार किया तथा संभावित ‘तोड़फोड़’ और ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग’ प्रणाली से छेड़छाड़ का संकेत दिया।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘‘हमने ट्रेन हादसे से जुड़ी दुर्घटना की सीबीआई जांच की सिफारिश की है।’’ वहीं, अधिकारियों ने कहा कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की जांच जारी रहेगी।

वैष्णव ने कहा कि दुर्घटना के ‘‘असल कारण’’ का पता लगा लिया गया है और इस ‘‘आपराधिक कृत्य’’ के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली गई है। बालासोर जिले में दुर्घटनास्थल पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह (हादसा) इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और प्वाइंट मशीन में किए गए बदलाव के कारण हुआ।’’

दिल्ली में, रेलवे के शीर्ष अधिकारियों ने ‘‘सिग्नल में व्यवधान’’ का संकेत दिया। रेलवे बोर्ड की परिचालन और व्यवसाय विकास मामलों की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने कहा, ‘‘किसी प्रकार के सिग्नलिंग व्यवधान की संभावना है…चाहे वह मैनुअल या आकस्मिक, टूट-फूट से संबंधित, रखरखाव की विफलता या मौसम संबंधी हो, सीआरएस जांच में इसका पता चलेगा।’’

उन्होंने बताया कि ‘प्वाइंट मशीन’ और इंटरलॉकिंग प्रणाली कैसे काम करती हैं। सिन्हा ने कहा कि प्रणाली ‘‘त्रुटि रहित’’ और ‘‘विफलता में भी सुरक्षित’’ (फेल सेफ) है। हालांकि, उन्होंने बाहरी हस्तक्षेप की संभावना से इनकार नहीं किया।

सिन्हा ने कहा, ‘‘इसे ‘फेल सेफ’ प्रणाली कहा जाता है, तो इसका मतलब है कि अगर यह फेल हो जाता है, तो सारे सिग्नल लाल हो जाएंगे और ट्रेन का सारा परिचालन बंद हो जाएगा। अब, जैसा कि मंत्री ने कहा कि सिग्नल प्रणाली में समस्या थी। हो सकता है कि किसी ने बिना केबल देखे कुछ खुदाई की हो। किसी भी मशीन के चलाने में विफलता का खतरा होता है।’’

सिन्हा ने विशेष निष्कर्षों पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में ‘‘कोई त्रुटि नहीं’’ मिली है, लेकिन लापरवाही से इनकार नहीं किया जा सकता।

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान जाहिर नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई)आधारित इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली के ‘‘लॉजिक’’ के साथ इस तरह की छेड़छाड़ केवल ‘‘जानबूझकर’’ हो सकती है। उन्होंने प्रणाली में किसी खराबी की संभावना को खारिज किया।

उन्होंने कहा, ‘‘यह अंदर या बाहर से छेड़छाड़ या तोड़फोड़ का मामला हो सकता है। हमने किसी भी चीज से इनकार नहीं किया है।’’

सिन्हा ने कहा कि टक्कर रोधी तकनीक कवच से भी कोरोमंडल एक्सप्रेस की रफ्तार और खड़ी मालगाड़ी से उसकी दूरी के कारण यह दुर्घटना नहीं टल सकती थी।

बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस तथा एक मालगाड़ी से जुड़ा यह भीषण हादसा शुक्रवार शाम लगभग सात बजे हुआ, जिसमें कम से कम 275 लोगों की मौत हो गई और करीब 1,175 यात्री घायल हो गए।

अधिकारियों ने रविवार को कोरोमंडल एक्सप्रेस के चालक को भी यह कहकर ‘क्लीन चिट’ दे दी कि उसके पास आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी थी और वह स्वीकृत गति से अधिक रफ्तार में ट्रेन को नहीं चला रहा था।

हादसे से संबंधित एक प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस स्टेशन पर लूप लाइन में प्रवेश कर गई, जिस पर लौह अयस्क से लदी एक मालगाड़ी खड़ी थी। इस रिपोर्ट की एक प्रति ‘पीटीआई-भाषा’ के पास उपलब्ध है।

इसमें छेड़छाड़ किए जाने की संभावना के संकेत के साथ उल्लेख किया गया कि सिग्नल ‘‘दिया गया था और ट्रेन संख्या 12841 (कोरोमंडल एक्सप्रेस) को अप मेन लाइन के लिए रवाना किया गया था, लेकिन ट्रेन अप लूप लाइन में प्रवेश कर गई और लूपलाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई तथा पटरी से उतर गई। इस बीच, ट्रेन संख्या 12864 (बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस) डाउन मेन लाइन से गुजरी और उसके दो डिब्बे पटरी से उतर गए तथा पलट गए।’’

यह उल्लेख करते हुए कि मंत्री द्वारा बताए गए दो घटक ट्रेन संचालन के लिए किस तरह महत्वपूर्ण हैं, रेलवे बोर्ड के सिग्नल मामलों के प्रधान कार्यकारी निदेशक संदीप माथुर ने कहा कि ये दोनों चालक को यह दिखाने के लिए समन्वय में काम करते हैं कि आगे बढ़ने के लिए पटरी खाली है या नहीं।

उन्होंने कहा, ‘‘सिग्नल को इस तरह से इंटरलॉक किया जाता है कि इससे पता लग जाता है कि आगे की लाइन व्यस्त है या नहीं। यह भी पता चल जाता है कि प्वाइंट ट्रेन को सीधा ले जा रहा है या लूप लाइन की ओर।’’

अधिकारी ने कहा कि इंटरलॉकिंग प्रणाली ट्रेन को स्टेशन से बाहर ले जाने का सुरक्षित तरीका है।

प्वाइंट स्विच के त्वरित संचालन और लॉकिंग के वास्ते रेलवे सिग्नलिंग के लिए प्वाइंट मशीन एक महत्वपूर्ण उपकरण है और ट्रेन के सुरक्षित संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इन मशीनों के विफल होने से रेलगाड़ियों की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित होती है।

सिन्हा ने कहा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए दिशा, मार्ग और सिग्नल तय किए गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘हरे सिग्नल का मतलब है कि हर तरह से चालक जानता है कि उसका आगे का रास्ता साफ है और वह अपनी अनुमत अधिकतम गति के साथ आगे जा सकता है। इस खंड पर अनुमत गति 130 किमी प्रति घंटा थी और वह 128 किमी प्रति घंटे की गति से अपनी ट्रेन चला रहा था, जिसकी हमने लोको लॉग पुष्टि की है।’’

बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन 126 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों ट्रेन में अनुमत सीमा से अधिक गति का कोई सवाल ही नहीं था। प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि सिग्नल संबंधी समस्या थी।’’

सिन्हा ने कहा, ‘‘दुर्घटना में केवल एक ट्रेन शामिल थी, वह कोरोमंडल एक्सप्रेस थी। कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी से टकरा गई और उसके डिब्बे मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गए। यह लौह अयस्क से लदी मालगाड़ी थी, इसलिए टक्कर का पूरा प्रभाव ट्रेन पर हुआ।’’

उन्होंने कहा कि क्षण-भर में बेंगलुरु-हावड़ा ट्रेन के आखिरी दो डिब्बे कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बों से टकरा गए।

इस बीच, रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने घटनास्थल पर अपनी जांच पूरी कर ली है। वह सोमवार और मंगलवार को हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों से मिल सकते हैं।

भाषा आशीष नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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