टीटीडी की जमीन का ओबेरॉय होटल्स को हस्तांतरण सबसे बड़ा घोटाला: वाईएसआरसीपी नेता करुणाकर रेड्डी
टीटीडी की जमीन का ओबेरॉय होटल्स को हस्तांतरण सबसे बड़ा घोटाला: वाईएसआरसीपी नेता करुणाकर रेड्डी
तिरुपति, 18 दिसंबर (भाषा) युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के वरिष्ठ नेता एवं तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के पूर्व अध्यक्ष बी. करुणाकर रेड्डी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार पर पर्यटन विकास की आड़ में टीटीडी की बहुमूल्य भूमि ‘ओबेरॉय’ समूह को सौंपने की ‘‘साजिश’’ का आरोप लगाया है।
रेड्डी ने आरोप लगाया कि अलीपिरी के पास स्थित टीटीडी की 20 एकड़ से अधिक की बहुमूल्य भूमि को पर्यटन विभाग की लगभग 18 करोड़ रुपये की भूमि के बदले में दे दिया गया। पंजीकरण रिकॉर्ड के अनुसार, टीटीडी की इस 20 एकड़ भूमि का मूल्य 460 करोड़ रुपये से अधिक और खुले बाजार में 3,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
रेड्डी ने बुधवार देर रात जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘यह पर्यटन विकास के बहाने टीटीडी की बहुमूल्य भूमि को राजग सरकार द्वारा आलीशान होटल समूह ‘ओबेरॉय’ को सौंपने की साजिश है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि यह भगवान वेंकटेश्वर की संपत्ति की सरासर लूट है और टीटीडी के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है।
वाईएसआरसीपी नेता ने दावा किया कि जमीन की अदला-बदली अपारदर्शी तरीके से की गयी, पंजीकरण चुपचाप निष्पादित किए गए थे, जिससे ‘लेनदेन के इरादे और वैधता पर गंभीर सवाल उठते हैं’।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने ओबेरॉय को कई बड़ी रियायतें दीं, जिनमें भवन निर्माण निधि के लिए लगभग दो करोड़ रुपये और स्टांप शुल्क तथा पट्टे से संबंधित शुल्कों में लगभग 26 करोड़ रुपये की छूट शामिल है।
रेड्डी ने अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वाईएस राजशेखर रेड्डी के कार्यकाल के दौरान दो जून, 2007 को जारी एक सरकारी आदेश का हवाला देते हुए कहा कि विवादित भूमि सहित तिरुमला की सात पवित्र पहाड़ियां कानूनी रूप से संरक्षित हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि मंदिर की इस तरह की संरक्षित भूमि को एक निजी पांच सितारा होटल शृंखला को सौंपना अवैध, अनैतिक और अभूतपूर्व था। उन्होंने यह भी कहा कि इस लेन-देन से टीटीडी को कोई लाभ नहीं हुआ।
विपक्ष के नेता ने यह भी सवाल उठाया कि लाल चंदन के पेड़ों की मौजूदगी के बावजूद कथित तौर पर वन विभाग से मंजूरी लिये बिना निर्माण की अनुमति कैसे दी गई। उन्होंने इस दावे को भी खारिज कर दिया कि 100 कमरों वाले होटल के लिए 20 एकड़ भूमि की आवश्यकता होती है।
रेड्डी ने संतों और धार्मिक नेताओं की चुप्पी का आरोप लगाते हुए उनसे भगवान वेंकटेश्वर की संपत्तियों की ‘व्यवस्थित लूट’ का विरोध करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण और पर्यटन मंत्री कंदुला दुर्गेश को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने भूमि हस्तांतरण रद्द करने की मांग की और श्रद्धालुओं से टीटीडी की संपत्तियों की शुचिता बनाए रखने का आह्वान किया।
इस बीच, सत्ताधारी तेलुगुदेशम पार्टी की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
भाषा तान्या सुरेश
सुरेश

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