यूएनईपी प्रमुख ने भारत से वैश्विक प्लास्टिक संधि की दिशा में प्रयासों का नेतृत्व करने का आग्रह किया
यूएनईपी प्रमुख ने भारत से वैश्विक प्लास्टिक संधि की दिशा में प्रयासों का नेतृत्व करने का आग्रह किया
(अपर्णा बोस)
नयी दिल्ली, पांच जून (भाषा) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की प्रमुख इंगर एंडरसन ने बृहस्पतिवार को भारत से एक मजबूत वैश्विक प्लास्टिक संधि की दिशा में प्रयासों का नेतृत्व करने का आग्रह किया।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ‘पीटीआई वीडियो’ से बात करते हुए, यूएनईपी की कार्यकारी निदेशक ने उल्लेख किया कि प्लास्टिक प्रदूषण पर 2025 की थीम समाधान तलाशने के लिए दुनिया भर में संकल्प मजबूत होने को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि भारत, जो एक प्रमुख प्लास्टिक उत्पादक और प्रदूषक दोनों है, को अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए नेतृत्व करना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र की अवर महासचिव एंडरसन ने कहा कि सदस्य देशों में राजनीतिक इच्छाशक्ति स्पष्ट रूप से दिख रही है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभी तक विश्व के किसी भी ऐसे नेता से नहीं मिली हूं जो इसे हल नहीं करना चाहता हो, जिनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं वास्तव में भारत से नेतृत्व करने का आग्रह कर रही हूं। साथ ही, यह भी कहना चाहूंगी कि भारत अभी भी विकासशील देश है। संधि इतनी सामान्य होनी चाहिए कि हर कोई खुद का आकलन कर सके, लेकिन इतनी महत्वाकांक्षी भी होनी चाहिए कि यह समस्या का समाधान कर सके।’’
वैश्विक प्लास्टिक संधि के लिए बातचीत 2022 में शुरू हुई थी। तात्कालिकता पर आम सहमति बनने के बावजूद, असहमति के कारण दिसंबर 2024 में वार्ता में प्रगति रूक गई।
प्लास्टिक प्रदूषण पर आंतरिक रूप से बाध्यकारी समाधान तलाशने के लिए अंतर-सरकारी वार्ता समिति के पांचवें सत्र के दूसरे भाग से अपेक्षाओं के बारे में पूछे जाने पर, यूएनईपी प्रमुख ने कहा कि वह अत्यधिक आशान्वित हैं।
वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण का लगभग पांचवां हिस्सा भारत से जुड़ा होने के कारण, एंडरसन ने पुनर्चक्रण की आवश्यकता पर बल दिया।
आगामी दौर की वार्ता से पहले बैंकॉक में क्षेत्रीय परामर्श और महासागर सम्मेलन के दौरान अनौपचारिक मंत्रिस्तरीय चर्चाएं होंगी, जिसका आयोजन अगले सप्ताह फ्रांस और कोस्टा रिका द्वारा संयुक्त रूप से किया जाना है।
मसौदा संधि में खिलौनों और पैकेजिंग सहित एक बार उपयोग में लाये जाने वाले प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए 2040 तक वर्षवार लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
प्रदूषकों और सरकारों को जवाबदेह बनाने के लिए मजबूत प्रवर्तन एजेंसियों की आवश्यकता के बारे में पूछे जाने पर एंडरसन ने लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (सीआईटीईएस) और कानूनी रूप से बाध्यकारी मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रवर्तन एक ऐसी चीज है जो हम नहीं करते हैं, यह राष्ट्रीय स्तर पर होता है और इसे लागू करने के लिए एक व्यापक संधि अक्सर राष्ट्रीय कानून और विधान में प्रदर्शित होती है।’’
उन्होंने कहा कि हालांकि, प्लास्टिक प्रदूषण इस वर्ष का मूल विषय है, लेकिन जलवायु परिवर्तन, मरुस्थलीकरण और जैव विविधता की हानि जैसे अन्य गंभीर संकट भी यूएनईपी के एजेंडे के केंद्र में हैं।
भारत के तेजी से बढ़ते निर्माण क्षेत्र पर एंडरसन ने ‘ग्रीन बॉण्ड’ जैसी पहल का स्वागत किया। उन्होंने अधिक सार्वजनिक-निजी निवेश मॉडल का भी आग्रह किया, विशेष रूप से माइक्रोफाइनेंस के माध्यम से आवास निर्माण का समर्थन करने के लिए।
भारत में घरेलू वायु प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए एंडरसन ने पारंपरिक चूल्हे, केरोसिन और कोयले के व्यापक उपयोग का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों की मृत्यु दर अधिक है और उनमें से कुछ के लिए वायु प्रदूषण भी जिम्मेदार है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया के 90 प्रतिशत से अधिक लोग ऐसी वायु गुणवत्ता में रह रहे हैं जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित मानकों से भी खराब है।’’
भाषा सुभाष नरेश
नरेश

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