मदरसों के सर्वे का उप्र सरकार का कदम इस शिक्षा प्रणाली को कम महत्व का बताने की कोशिश: जमीयत

मदरसों के सर्वे का उप्र सरकार का कदम इस शिक्षा प्रणाली को कम महत्व का बताने की कोशिश: जमीयत

मदरसों के सर्वे का उप्र सरकार का कदम इस शिक्षा प्रणाली को कम महत्व का बताने की कोशिश: जमीयत
Modified Date: November 29, 2022 / 08:42 pm IST
Published Date: September 7, 2022 12:16 am IST

नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) जमीयत उलमा-ए-हिंद ने ‘‘हर कीमत पर’’ मदरसों का बचाव करने की बात करते हुए मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में मदरसों का सर्वेक्षण करने का राज्य सरकार का कदम इस शिक्षा प्रणाली को कम महत्व का बताने की एक ‘‘दुर्भावनापूर्ण कोशिश’’ है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने राज्य सरकार के फैसले के प्रभावों का आकलन करने के लिए मदरसा शिक्षकों की एक बैठक के बाद एक ‘हेल्पलाइन नंबर’ की घोषणा की, ताकि ‘‘किसी समस्या’’ का सामना करने पर मदरसे इस पर संपर्क कर सकें। इसके अलावा उसने इन मामलों को देखने के लिए एक संचालन समिति का गठन किया।

प्रमुख मुस्लिम सामाजिक-धार्मिक समूह जमीयत उलमा-ए- हिंद ने एक बयान में कहा कि देवबंद के दारुल उलूम, दारुल उलूम नदवातुल उलेमा, लखनऊ और मजाहिर उलूम, सहारनपुर जैसे प्रतिष्ठित मदरसों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने इस बैठक में भाग लिया, जिसकी विषय वस्तु थी- ‘‘मदरसों की हिफाजत करना’’।

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मुस्लिम संगठन ने कहा कि बैठक में राज्य सरकार की ‘‘प्रतिगामी मानसिकता’’ पर चिंता जताई गई, जो ‘‘लोगों में भ्रम और भय पैदा करती है और समुदायों के बीच अविश्वास पैदा करती है।’’

भाषा सिम्मी सुभाष

सुभाष


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