कोच्चि, 20 दिसंबर (भाषा) मलयालम फिल्मों के सबसे प्रभावशाली अभिनेताओं, पटकथा लेखकों और निर्देशकों में से एक श्रीनिवासन का शनिवार सुबह यहां एक सरकारी अस्पताल में निधन हो गया। वह 69 वर्ष के थे। फिल्म जगत के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
वह लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे और 2022 में उनके हृदय की सर्जरी हुई थी।
श्रीनिवासन डायलिसिस के लिए कोच्चि के एक निजी अस्पताल जा रहे थे, तभी उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी। इसके बाद उन्हें त्रिपुनिथुरा के सरकारी अस्पताल ले जाया गया।
अस्पताल अधिकारियों के अनुसार, सुबह करीब साढ़े आठ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
बाद में, उनकी पार्थिव देह अस्पताल से उनके आवास पर लाई गई। पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि के लिए एर्नाकुलम टाउन हॉल में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार बाद में उनके आवास पर किया जाएगा।
कन्नूर के मूल निवासी श्रीनिवासन पिछले कई वर्षों से त्रिपुनिथुरा के कंदनाडु में रह रहे थे।
जाने-माने निर्देशक सत्येन एंथिकड़ ने संवाददाताओं को बताया कि श्रीनिवासन लंबे समय से बीमार थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनसे हर दो सप्ताह में एक बार मिलने जाता था। मेरी बृहस्पतिवार को उनसे बात हुई थी। हाल में उनकी सर्जरी हुई थी और उन्हें चलने-फिरने में कठिनाई हो रही थी। इसके बावजूद उनका दिमाग और सोचने की क्षमता पूरी तरह ठीक थी।’’
छह अप्रैल 1956 को कन्नूर जिले के पट्टियम में जन्मे श्रीनिवासन ने मट्टन्नूर के पीआरएनएसएस कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर तमिलनाडु फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान में अध्ययन के लिए चेन्नई चले गए।
उन्होंने 1976 में पी ए बैकर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘मणिमुझक्कम’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की।
श्रीनिवासन ने मोहनलाल और ममूटी जैसे दिग्गज अभिनेताओं के साथ कई यादगार किरदार निभाए।
अभिनय के अलावा, श्रीनिवासन को पटकथा लेखन के लिए भी व्यापक पहचान मिली। उन्होंने 1984 में ‘ओदारुथम्मावा अलारियाम’ से इसकी शुरुआत की थी।
बाद में उन्होंने जाने-माने निर्देशक प्रियदर्शन और सत्येन एंथिकड़ के साथ काम किया।
उन्होंने 1989 में ‘वडक्कुनोक्कियंत्रम’ से निर्देशन की शुरुआत की। यह फिल्म मलयालम सिनेमा की ‘क्लासिक’ फिल्म मानी जाती है और इसे केरल राज्य फिल्म पुरस्कार भी मिला था।
उन्होंने ‘चिंताविष्टयया श्यामला’ (1998) का भी निर्देशन किया, जिसे ‘अन्य सामाजिक विषयों’ की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। इन दोनों फिल्मों में उन्होंने मुख्य भूमिका भी निभाई थी।
श्रीनिवासन द्वारा लिखित राजनीतिक व्यंग्य फिल्म ‘संदेशम’ (1991) को सर्वश्रेष्ठ कहानी के लिए केरल राज्य फिल्म पुरस्कार मिला था। इस फिल्म का आज भी राजनीतिक चर्चाओं में अक्सर जिक्र होता है।
कोच्चि में बसने के बाद वह अपने घर के पास जैविक खेती भी कर रहे थे। उनके दो बेटे विनीत श्रीनिवासन और ध्यान श्रीनिवासन भी मलयालम फिल्म उद्योग में अभिनेता हैं।
उनके परिवार में उनकी पत्नी विमला और उनके दो बेटे हैं।
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने एक बयान में कहा कि श्रीनिवासन का निधन मलयालम सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति है।
उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माण के हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार के चले जाने से उद्योग को बड़ी क्षति हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “उन जैसे बहुत कम फिल्मकार हुए हैं जिन्होंने आम आदमी की जिंदगी को इतनी सफलता से पर्दे पर उतारा हो और हास्य व विचार के जरिए दर्शकों को उस स्तर की समझ तक ले गए हों, जिसकी वह चाह रखते थे। श्रीनिवासन ने सिनेमा की कई पुरानी परंपराओं को तोड़ा और अपनी अलग राह बनाई।’’
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव एम वी गोविंदन ने एक बयान में कहा कि श्रीनिवासन सिनेमा जगत के लिए शाश्वत प्रेरणा बने रहेंगे।
उन्होंने कहा, “पिछली बार जब मैं उनसे मिला, तब भी कई बीमारियों के बावजूद साफ दिख रहा था कि श्रीनिवासन लगातार अपने विचारों को नया रूप दे रहे थे। उनमें आम लोगों की समस्याओं को हास्य स्पर्श के साथ पर्दे पर उतारने की एक अनोखी कला थी।”
केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने संवाददाताओं से कहा कि श्रीनिवासन एक अद्वितीय कलाकार थे, जिन्होंने असाधारण शैली में इस बड़ी दुनिया में छोटे लोगों की जिंदगी और छोटे संसारों में बड़े लोगों की जिंदगी को चित्रित किया।
सतीशन ने कहा कि वह मलयालम फिल्म जगत के बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, और जिस भी चीज को वे छूते थे, उसे सोने में बदल देते थे।
भाषा खारी जोहेब
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