ग्रामीणों को चिंता करने की जरुरत नहीं: प्रमोदा देवी वाडियार ने जमीन पर अपने दावे को लेकर कहा

ग्रामीणों को चिंता करने की जरुरत नहीं: प्रमोदा देवी वाडियार ने जमीन पर अपने दावे को लेकर कहा

ग्रामीणों को चिंता करने की जरुरत नहीं: प्रमोदा देवी वाडियार ने जमीन पर अपने दावे को लेकर कहा
Modified Date: April 14, 2025 / 05:32 pm IST
Published Date: April 14, 2025 5:32 pm IST

बेंगलुरु, 14 अप्रैल (भाषा) पूर्ववर्ती मैसूरु राजघराने की प्रमोदा देवी वाडियार ने सोमवार को कहा कि चामराजनगर जिले के सिद्धयानपुरा के निवासियों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि भले ही जिस जमीन पर उन्होंने दावा किया है वह शाही परिवार के नाम पर पायी जाए, वह कोई कदम नहीं उठाएंगी।

यह आश्वासन तब आया जब वाडियार ने कहा कि सिद्धयानपुरा में 4,500 एकड़ से अधिक भूमि, मैसूरु के पूर्ववर्ती महाराजा और भारत सरकार के बीच फरवरी 1951 में हुए एक समझौते के अनुसार पूर्व शाही परिवार की है।

हाल ही में जब राज्य सरकार ने सिद्धयानपुरा को राजस्व गांव घोषित करने की दिशा में कदम बढ़ाया, तो वाडियार ने चामराजनगर के उपायुक्त और तहसीलदार तथा कर्नाटक सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को इस संबंध में एक पत्र भेजा, जिसमें कहा गया कि मैसूरु के पूर्व शाही परिवार के पास गांव में जमीन का एक टुकड़ा है, जिसे वे राजस्व गांव घोषित करना चाहते हैं।

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इससे घबराये हुए ग्रामीणों ने मामले को सुलझाने के लिए उपायुक्त से सम्पर्क किया और यहां तक ​​दावा किया कि तत्कालीन मैसूरु महाराजा ने उन्हें जमीन उपहार में दी है।

सिद्धयानपुरा के लोगों के बीच भ्रम को दूर करने के लिए वाडियार ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें नहीं पता कि गांव वाले क्यों डरे हुए हैं। मैं इस समय यहां कह रही हूं कि उन्हें अभी या भविष्य में भी डरने की जरूरत नहीं है। मैं उन्हें आश्वासन दे रही हूं कि भले ही खाता (भूमि रिकार्ड) हमारे नाम पर आये, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है।’’

हालांकि, उन्होंने शिकायत की कि उपायुक्त ने संपत्ति की स्थिति के बारे में कोई दस्तावेज नहीं दिया। वाडियार ने हैरानी जतायी कि लोग क्यों डरे हुए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं शहर से बाहर थी और मुझे इस मामले की बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी। मुझे इस बारे में तभी पता चला जब मैंने इसके बारे में पढ़ा। मुझे नहीं पता कि किसने उनमें भय उत्पन्न किया और मुझे इस बात की भी जानकारी नहीं है कि जमीनी स्तर पर क्या हुआ।’’

ग्रामीणों के इस दावे के बारे में कि मैसूरु के पूर्व महाराजा ने उन्हें उपहार के रूप में भूमि दी थी, वाडियार ने कहा, “यदि मैसूरु के (पूर्व) महाराजा ने उन्हें उपहार दिया था तो क्या हमें उनसे इसे वापस छीनने की आवश्यकता है?”

उन्होंने यह भी कहा कि जिला प्राधिकारियों ने जब इसे राजस्व गांव बनाने का फैसला किया तो वे उन्हें जमीन की स्थिति के बारे में बता सकते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर जमीन हमारे नाम पर चढ़ भी जाती है तो भी मैं ऐसी स्थिति पैदा नहीं करूंगी जिससे उन्हें डर लगे। मैं इससे ज्यादा आश्वासन नहीं दे सकती। हम राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बिना अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे और सरकार को हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है।’’

भाषा अमित नरेश

नरेश


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