Waqf Board Amendment Bill: वक़्फ़ कानून पर SC में सुनवाई के बाद शुरू हुई सियासत.. नेताओं की क्या है प्रतिक्रियाएं, यहाँ पढ़ें..

वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों के नामांकन की अनुमति देने वाले प्रावधान पर रोक नहीं लगाई गई। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि जहाँ तक संभव हो, बोर्ड का पदेन सदस्य एक मुस्लिम व्यक्ति होना चाहिए।

Waqf Board Amendment Bill: वक़्फ़ कानून पर SC में सुनवाई के बाद शुरू हुई सियासत.. नेताओं की क्या है प्रतिक्रियाएं, यहाँ पढ़ें..

Waqf Board Amendment Bill || Image- IBC24 News File

Modified Date: September 15, 2025 / 12:04 pm IST
Published Date: September 15, 2025 12:04 pm IST
HIGHLIGHTS
  • सुप्रीम कोर्ट फैसले पर नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया
  • मौलाना रशीद ने जताई राहत की उम्मीद
  • विश्वास सारंग ने बताया ऐतिहासिक फैसला

Waqf Board Amendment Bill: नई दिल्ली: केंद्र सरकार के संशोधित वक़्फ़ से जुड़े नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस मामले पर कोर्ट में आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने कानून पर तो रोक नहीं लगाया लेकिन बिन्दुओ को जरूर खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाई है, जिसमें वक्फ बोर्ड के सदस्य बनने के लिए कम से कम पांच साल तक इस्लाम पालन की शर्त शामिल है। कोर्ट ने कहा कि जब तक इस संबंध में उचित नियम नहीं बनते, तब तक यह प्रावधान लागू नहीं होगा।

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हमें उम्मीद, 100% राहत दी जाएगी :मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली

हालांकि इस सुनवाई के बाद अब अलग-अलग लोगों की इस मामले में प्रतिक्रियाएं सामने आई है। इनमें नेता भी शामिल है। वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईदगाह इमाम और एआईएमपीएलबी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, “हमारी मांग थी कि पूरे अधिनियम पर रोक लगाई जाए लेकिन कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है। हालांकि, कोर्ट ने कई प्रावधानों पर रोक लगाई है और हम कुछ प्रावधानों पर रोक का स्वागत करते हैं, जैसे कि जो व्यक्ति वक्फ करना चाहता है, उसे कम से कम 5 साल तक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होना चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि CEO मुस्लिम समुदाय से होना चाहिए… धारा 3 और 4 पर रोक एक बहुत ही स्वागत योग्य कदम है और हमें उम्मीद है कि जब भी अंतिम निर्णय आएगा, हमें 100% राहत दी जाएगी।”

यह आस्था का मामला है :कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी

इसी तरह कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, “यह वाकई एक अच्छा फ़ैसला है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की साज़िश और इरादों पर लगाम लगा दी है। ज़मीन दान करने वाले लोग इस बात से डरे हुए थे कि सरकार उनकी ज़मीन हड़पने की कोशिश करेगी। यह उनके लिए राहत की बात है। सरकार कैसे तय करेगी कि कौन 5 साल से धर्म का पालन कर रहा है? यह आस्था का मामला है। सरकार ने इन सभी पहलुओं पर ध्यान दिया है। हम लड़ाई जारी रखेंगे”

लीगल टीम इसका अध्ययन करेगी :मप्र वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सनवर पटेल

Waqf Board Amendment Bill: मप्र वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सनवर पटेल ने IBC 24 से हुई बातचीत पर कहा कि, यह फैसला अंतरिम फैसला है अंतिम फैसला नहीं है। वक्फ कानून को असंवैधानिक कहने वालों को सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दे दिया है कि यह कानून संवैधानिक है। मुस्लिम समाज का विकास हो इसलिए यह कानून लाया गया है। हमारी लीगल टीम इसका अध्ययन करेगी आगे का कदम उठाएगी। लोगो की भलाई के लिए अगर नॉन मुस्लिम एक्सपर्ट सलाह देते है तो सबको स्वागत करना चाहिए।

सनवर पटेल ने आगे कहा कि, विरोध करने वालो को चेतावनी है कि, लोगों को भड़काना बंद करें, डराना बंद करें। हम सब भारत मां के लाल भेदभाव का कहां सवाल है। विरोधी सही मामलों में भी विरोध को अपना हथियार बनाएंगे तो अपनी प्रासंगिकता खो देंगे। देश की भलाई के लिए फैसला आया है।

संपत्तियों पर हुए कब्जे हटेंगे :कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग

इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर एमपी के कैबिनेट मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि, यह निर्णय निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम देगा। वक्फ संपत्तियों पर चंद लोगों ने बेजा कब्जा कर रखा था। वक्फ संपत्ति का उपयोग उन लोगों के लिए होना चाहिए जिन्हें इन संपत्तियों के माध्यम से सहायता की जरूरत है। चंद मुस्लिम नेताओं ने अपने बच्चों के ऐशो आराम के लिए इन संपत्तियों का इस्तेमाल किया था।
वक्फ कानून आने के बाद उनके पेट में दर्द हुआ। सारंग ने कहा कि, गलत मंतव्य से लगाई गई याचिकाओं को आज सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद वक्फ संपत्तियों पर हुए कब्जे हटेंगे।

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क्या रहा सुप्रीम कोर्ट का आज का निर्णय?

Waqf Board Amendment Bill: गौरतलब है कि, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने निम्नलिखित प्रावधानों में हस्तक्षेप किया-

  • 1. धारा 3(1)(आर) के प्रावधान, जिसके अनुसार किसी व्यक्ति को वक्फ बनाने के लिए 5 साल तक इस्लाम का पालन करना आवश्यक है, उसको राज्य सरकारों द्वारा इस शर्त के निर्धारण के संबंध में नियम बनाने तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
  • 2. सरकार के नामित अधिकारी को यह तय करने की अनुमति देने वाले प्रावधान पर रोक लगा दी गई कि क्या किसी वक्फ संपत्ति ने सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण किया। यह देखते हुए कि एक कार्यकारी अधिकारी को नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों का न्याय करने की अनुमति नहीं दी जा सकती और यह शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन होगा। हालांकि, जब तक ट्रिब्यूनल द्वारा न्यायनिर्णयन नहीं हो जाता, तब तक किसी भी पक्ष के विरुद्ध किसी तीसरे पक्ष के अधिकार का सृजन नहीं किया जा सकता।
  • 3. वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों के नामांकन की अनुमति देने वाले प्रावधान पर रोक नहीं लगाई गई। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि जहाँ तक संभव हो, बोर्ड का पदेन सदस्य एक मुस्लिम व्यक्ति होना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि केंद्रीय वक्फ परिषद में 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे, और राज्य वक्फ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।


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