देश को परम वैभव संपन्न बनाने के लिए सबको साथ लेकर चलना है: भागवत

देश को परम वैभव संपन्न बनाने के लिए सबको साथ लेकर चलना है: भागवत

देश को परम वैभव संपन्न बनाने के लिए सबको साथ लेकर चलना है: भागवत
Modified Date: November 13, 2025 / 10:18 pm IST
Published Date: November 13, 2025 10:18 pm IST

जयपुर, 13 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्र को परम वैभव संपन्न बनाने के लिए सबको साथ लेकर चलना है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत वर्ष में ‘‘हमारी पहचान हिन्दू है। हिन्दू शब्द सबको एक करने वाला है।’’

वह संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर ‘100 वर्ष की संघ यात्रा श्रृंखला’ के अंतर्गत कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में ‘उद्यमी संवाद नए क्षितिज की ओर’ कार्यक्रम में प्रमुख उद्यमियों को संबोधित कर रहे थे।

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एक बयान के अनुसार इसमें डॉ. भागवत ने कहा, ‘‘ राष्ट्र को परम वैभव संपन्न और विश्वगुरु बनाना किसी एक व्यक्ति के वश में नहीं है। नेता, नारा, नीति, पार्टी, सरकार, विचार, महापुरुष, अवतार और संघ जैसे संगठन इसमें सहायक हो सकते हैं परन्तु मूल कारण नहीं बन सकते। यह सबका काम है और इसके लिए सबको साथ लेकर चलना है।’’

उन्होंने कहा है कि विविधताओं को कैसे संभालना है यह हमें दुनिया को सिखाना है क्योंकि दुनिया के पास ऐसा तंत्र नहीं है जो भारत के पास है।

उन्होंने कहा कि लोगों को आरएसएस के बारे में बिना उसका प्रत्यक्ष अनुभव किए कोई राय नहीं बनानी चाहिए, आरएसएस पूरे समाज को संगठित करना चाहता है।

उन्होंने कहा, ‘‘पूरा समाज एक संघ बन जाना चाहिए, यानी सभी को देश के लिए सच्ची और निस्वार्थ भक्ति के साथ जीना चाहिए।’’

सरसंघचालक ने कहा कि संघ के 100 वर्ष की यात्रा पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम कोई ‘जश्न’ नहीं है बल्कि यह भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपने कार्य के विस्तार पर विचार करने का अवसर है।

उन्होंने कहा कि डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने दशकों तक समाज का अवलोकन करने के बाद आरएसएस की स्थापना की थी।

उन्होंने सामाजिक समरसता, पर्यावरण जागरूकता और सक्रिय नागरिक उत्तरदायित्व को नागरिक जीवन के सिद्धांतों के रूप में सराहा।

भागवत ने साप्ताहिक पारिवारिक समारोहों, सामुदायिक सहभागिता, वृक्षारोपण, जल संरक्षण, प्लास्टिक के उपयोग को कम करने, आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया।

भाषा पृथ्वी शोभना

शोभना


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