अभियुक्तों की गिरफ्तारी के आधार पर हम संतुलन बनाना चाहते हैं: उच्चतम न्यायालय

अभियुक्तों की गिरफ्तारी के आधार पर हम संतुलन बनाना चाहते हैं: उच्चतम न्यायालय

अभियुक्तों की गिरफ्तारी के आधार पर हम संतुलन बनाना चाहते हैं: उच्चतम न्यायालय
Modified Date: April 22, 2025 / 09:27 pm IST
Published Date: April 22, 2025 9:27 pm IST

नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को राज्य मशीनरी द्वारा शक्तियों का दुरुपयोग नहीं किए जाने और आरोपियों द्वारा न्यायालय की टिप्पणियों का फायदा उठाकर उनके मुक्त नहीं होने के बीच संतुलन बनाने का आह्वान किया।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ इस प्रश्न पर विचार कर रही थी कि क्या प्रत्येक मामले में, यहां तक ​​कि पूर्ववर्ती भारतीय दंड संहिता के तहत अपराधों से उत्पन्न मामलों में भी, गिरफ्तारी से पहले या गिरफ्तारी के तुरंत बाद आरोपी को गिरफ्तारी का आधार बताना आवश्यक होगा।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘‘हम संतुलन बनाना चाहते हैं। एक ओर, हम नहीं चाहते कि मशीनरी अपनी शक्ति का दुरुपयोग करे। दूसरी ओर, हम यह भी नहीं चाहते कि आरोपी हमारी कुछ टिप्पणियों का फायदा उठाकर छूट जाएं।’’

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उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दूसरा प्रश्न यह उठता है कि क्या गिरफ्तारी को अमान्य कर दिया जाएगा, यदि असाधारण मामलों में, कुछ अनिवार्यताओं के कारण, गिरफ्तारी से पहले या तुरंत बाद आरोपी को गिरफ्तारी का आधार बताना संभव न हो।

पीठ ने इन कानूनी प्रश्नों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

इस वर्ष फरवरी में उच्चतम न्यायालय ने एक अलग फैसले में कहा था कि किसी आरोपी को गिरफ्तारी का आधार बताना कोई औपचारिकता नहीं बल्कि एक अनिवार्य संवैधानिक आवश्यकता है।

इसमें कहा गया था कि पुलिस द्वारा इसका पालन न करना संविधान के अनुच्छेद 22 के तहत मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।

पिछले साल मई में शीर्ष अदालत ने न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ़्तारी को ‘‘अवैध’’ घोषित कर दिया था और उनकी रिहाई का आदेश दिया था। पुरकायस्थ को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज एक मामले में गिरफ़्तार किया गया था।

न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि यूएपीए या अन्य अपराधों के तहत अपराध करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए किसी भी व्यक्ति को लिखित रूप में गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित किए जाने का मौलिक और वैधानिक अधिकार है।

मंगलवार को पीठ ने कहा कि सवाल यह है कि क्या रंगेहाथ पकड़े गए आरोपी को गिरफ्तारी के आधार प्रस्तुत करने पर अदालत की टिप्पणियों का लाभ दिया जाना चाहिए।

पीठ ने पूछा, ‘‘क्या हमें सारी जमीनी हकीकत को भूल जाना चाहिए?’’

न्यायालय ने रेखांकित किया कि उसके कुछ फैसलों का दुरुपयोग भी किया गया।

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से उपस्थित वकील ने कहा कि किसी आरोपी को गिरफ्तारी के आधार बताना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि न्यायालय द्वारा दोषी सिद्ध होने तक उसे निर्दोष माना जाता है।

पीठ बंबई उच्च न्यायालय के आदेशों से उत्पन्न तीन अलग-अलग याचिकाओं पर विचार कर रही थी।

इनमें से एक याचिका जुलाई 2024 के बीएमडब्ल्यू ‘हिट-एंड-रन’ मामले के एक आरोपी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें मुंबई में एक महिला की जान चली गई थी।

भाषा नेत्रपाल माधव

माधव


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