प. बंगाल: 16 दिसंबर को प्रकाशित होगा मतदाता सूची का मसौदा
प. बंगाल: 16 दिसंबर को प्रकाशित होगा मतदाता सूची का मसौदा
कोलकाता, 15 दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल के 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्यव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के पूरा होने के बाद निर्वाचन आयोग राज्य के लिए मतदाता सूची का मसौदा मंगलवार को प्रकाशित करने जा रहा है।
निर्वाचन अधिकारी अंतिम क्षणों की तैयारियों में जुटे हैं। अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि यह प्रक्रिया तय समय-सीमा के भीतर पूरी होने की दिशा में है।
आयोग के सूत्रों ने बताया कि सूची का मसौदा पहले ही बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) के आंतरिक ऐप पर अपलोड कर दिया गया है, जिससे सार्वजनिक रूप से जारी होने से पहले क्षेत्रीय अधिकारियों को बूथवार मतदाता डेटा तक पहुंच प्राप्त हो सकेगी।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय ने जिलास्तरीय वेबसाइट भी सक्रिय कर दी हैं, ताकि मतदाता अपने विवरण की मंगलवार से ऑनलाइन जांच कर सकें।
मसौदा मतदाता सूचियों का प्रकाशन गणना चरण के पूरा होने और दावे, आपत्तियों और सुनवायी वाले एक कहीं अधिक जटिल चरण की शुरुआत का प्रतीक होगा, जो फरवरी 2026 तक चलेगा।
इस अवधि के दौरान, विसंगति वाले मतदाताओं को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होने से पहले सत्यापन के लिए बुलाया जाएगा। अंतिम मतदाता सूची प्रकाशन के लिए अगले साल 14 फरवरी की तिथि अस्थायी रूप से निर्धारित है।
राज्य में एसआईआर प्रक्रिया चार नवंबर को शुरू हुई थी। निर्वाचन आयोग ने 27 अक्टूबर को एसआईआर कार्यक्रम की घोषणा की थी, उस समय पश्चिम बंगाल के मतदाताओं की संख्या 7,66,37,529 थी।
सभी मतदाताओं के लिए गणना प्रपत्र मुद्रित किए गए और मतदान कर्मियों द्वारा घर-घर वितरित किए गए। अधिकारियों के अनुसार, जिन मतदाताओं ने हस्ताक्षरित प्रपत्र जमा किए हैं, भले ही वे आंशिक रूप से भरे हों, उन्हें मसौदा सूची में रखा गया है, हालांकि उनके विवरणों का आगे सत्यापन किया जाएगा।
आयोग के आंकड़े से पता चलता है कि प्रक्रिया के दौरान 30 लाख से अधिक मतदाताओं को ‘‘नो-मैपिंग’’ श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि उनके नाम 2002 की मतदाता सूचियों से संबद्ध नहीं पाये गए। इस समूह के लिए सुनवाई बुधवार से शुरू होने वाली है।
इसके अलावा, लगभग 1.7 करोड़ मतदाताओं को अलग-अलग स्तर की पड़ताल में रखा गया है और मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित होने के बाद घर-घर जाकर उनकी जानकारी की दोबारा पुष्टि करने का काम बीएलओ को सौंपा गया है।
नवीनतम स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, मसौदा मतदाता सूची में 58 लाख से अधिक नामों को हटाने के लिए चिह्नित किया गया है। ऐसा मुख्य तौर पर स्थान बदलने, मतदाता का पता नहीं चलने और ‘डुप्लिकेट’ मतदाता जैसी मानक श्रेणियों के तहत किया गया है। साथ ही इनमें उन लोगों के नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने गणना प्रपत्र जमा नहीं किए हैं।
बीएलओ अधिकार रक्षा कमेटी के एक सदस्य ने पत्रकारों को बताया, ‘हमारा आकलन है कि मसौदा सूची में लगभग 59 लाख नाम हटाए गए के तौर पर दिखायी देंगे।’
निर्वाचन अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया है कि मसौदा सूची में शामिल होने से अंतिम रूप से सूची में बने रहने की गारंटी नहीं मिलती और उन सभी मतदाताओं को अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा, जिन पर सवाल उठाये गए हैं।
मसौदा मतदाता सूची को सार्वजनिक किए जाने से पहले ही, पिछले सप्ताह जारी किए गए नाम हटाए जाने के निर्वाचन क्षेत्रवार आंकड़े ने इस प्रक्रिया में एक तीखा राजनीतिक रंग भर दिया।
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र की तुलना में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भवानीपुर निर्वाचन क्षेत्र से काफी अधिक मतदाताओं के नाम हटाये गए हैं।
हालांकि, निर्वाचन अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि भवानीपुर इस मामले में सबसे अधिक प्रभावित सीट नहीं है। उत्तरी कोलकाता का चौरंगी सबसे अधिक प्रभावित सीट रहा, उसके बाद कोलकाता पोर्ट और टालीगंज का स्थान रहा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कब्जे वाले निर्वाचन क्षेत्रों में आसनसोल दक्षिण और सिलीगुड़ी में भी बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। जिलेवार देखें तो दक्षिण 24 परगना में सबसे अधिक मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, जबकि बांकुड़ा के कोतुलपुर में सबसे कम मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं।
एसआईआर कवायद के दौरान राज्य भर में 90,000 से अधिक बीएलओ तैनात किए गए थे।
भाषा
अमित दिलीप
दिलीप

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