प. बंगाल सरकार ने कई जातियों का ओबीसी दर्जा रद्द करने के फैसले पर रोक लगाने का आग्रह किया

प. बंगाल सरकार ने कई जातियों का ओबीसी दर्जा रद्द करने के फैसले पर रोक लगाने का आग्रह किया

प. बंगाल सरकार ने कई जातियों का ओबीसी दर्जा रद्द करने के फैसले पर रोक लगाने का आग्रह किया
Modified Date: August 20, 2024 / 03:53 pm IST
Published Date: August 20, 2024 3:53 pm IST

नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) पश्चिम बंगाल सरकार ने कई जातियों का ओबीसी दर्जा रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर उसकी अपील पर मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया।

उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों और राज्य सरकार द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण के लिए राज्य में कई जातियों, ज्यादातर मुस्लिम समूहों का ओबीसी दर्जा रद्द कर दिया था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे पर 27 अगस्त को सुनवाई करेगी। राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने की जरूरत है, क्योंकि इससे नीट-यूजी, 2024 पास करने वाले उम्मीदवारों के दाखिले पर असर पड़ रहा है।

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सिब्बल ने याचिका पर आज ही सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा, ‘‘हमें उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने की आवश्यकता है…छात्रवृत्ति का मुद्दा लंबित है और नीट के जरिये दाखिला प्रभावित होंगे।’’

राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) पैनल का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने कहा कि छात्र मेडिकल कॉलेजों और अन्य संस्थानों में प्रवेश पाने के लिए अपने ओबीसी दर्जे के प्रमाणीकरण के लिए कतार में खड़े हैं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम इस पर 27 अगस्त को सुनवाई करेंगे।’’

शीर्ष अदालत ने पांच अगस्त को राज्य सरकार से ओबीसी सूची में शामिल की गई नयी जातियों के सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन तथा सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में उनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व को लेकर आंकड़े उपलब्ध कराने को कहा था।

उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर निजी वादियों को नोटिस जारी करते हुए, शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार से एक हलफनामा दाखिल करने को कहा था। शीर्ष अदालत ने हलफनामा में 37 जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करने से पहले उसके और राज्य के पिछड़ा वर्ग पैनल द्वारा किए गए विचार-विमर्श का विवरण भी देने को कहा था। इन 37 जातियों में ज्यादातर मुस्लिम समूह हैं।

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप


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