पश्चिम बंगाल की अशोकनगर तेल क्षेत्र परियोजना में उत्पादन जल्द शुरू होगा : पेट्रोलियम मंत्री

पश्चिम बंगाल की अशोकनगर तेल क्षेत्र परियोजना में उत्पादन जल्द शुरू होगा : पेट्रोलियम मंत्री

पश्चिम बंगाल की अशोकनगर तेल क्षेत्र परियोजना में उत्पादन जल्द शुरू होगा : पेट्रोलियम मंत्री
Modified Date: December 15, 2025 / 06:53 pm IST
Published Date: December 15, 2025 6:53 pm IST

नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि पश्चिम बंगाल की अशोकनगर तेल क्षेत्र परियोजना में उत्पादन जल्द शुरू होगा, क्योंकि ओएनजीसी और राज्य सरकार, दोनों पट्टे को अंतिम रूप देने के प्रयास कर रहे हैं।

मंत्री ने उम्मीद जतायी कि हाल में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियम, 2025 (पीएनजी नियम) अधिसूचित किए जाने के बाद स्टांप शुल्क तथा रॉयल्टी से जुड़े मुद्दे “सुलझा लिए जाएंगे”।

उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए पुरी ने कहा, “जहां तक अशोकनगर परियोजना का सवाल है… अन्वेषण ब्लॉक डब्ल्यूबी-ओएनएन-2005/4 के लिए ओएनजीसी और ओआईएल के बीच उत्पादन साझेदारी अनुबंध एनईएलपी राउंड-7 के दौरान किया गया था। यह 2008 में किया गया था और इस ब्लॉक के लिए ओएनजीसी ठेकेदार था।”

 ⁠

उन्होंने कहा कि यह ब्लॉक उत्तर 24 परगना जिले में स्थित है और यहां खोज 2018 में हुई थी। उन्होंने कहा कि ओएनजीसी इस परियोजना में अब तक 1,000 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है।

पुरी ने कहा, “हमारा अनुमान है कि बंगाल बेसिन में कुल 24 करोड़ बैरल तेल समतुल्य भंडार मौजूद है। यदि 30 प्रतिशत रिकवरी के आंकड़े को मानें, तो कुल उत्पादन मूल्य लगभग 45,000 करोड़ रुपये हो सकता है, जिसमें से पश्चिम बंगाल राज्य को 4,500 करोड़ रुपये मिलेंगे।”

ओएनजीसी ने नवंबर 2024 में अशोकनगर के संबंध में पश्चिम बंगाल सरकार को पेट्रोलियम खनन पट्टे (पीएमएल) के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था।

राज्य सरकार ने फरवरी 2025 में 99.06 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के लिए ओएनजीसी को एक अस्थायी (प्रोविजनल) पीएमएल जारी किया।

मंत्री ने कहा, “ओएनजीसी और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच पत्रों का आदान-प्रदान 10 और 12 दिसंबर को हुआ है। अब तक हम जहां पहुंचे हैं, उसके आधार पर और हमारे पास मौजूद नवीनतम कानून के आलोक में, मुझे कोई समस्या नहीं दिखती।”

पुरी ने कहा कि पट्टा अवधि के लिए स्टांप शुल्क का भुगतान किया जाना है, और रॉयल्टी पर स्टांप ड्यूटी तब दी जाएगी, जब वह प्राप्त होगी।

उन्होंने कहा कि वह भविष्यवक्ता नहीं हैं और अनुमान लगाना पसंद नहीं करते। उन्होंने साथ ही कहा कि अब तक हुई प्रगति को देखते हुए उम्मीद है कि मामले सुलझ जाएंगे।

पुरी ने कहा, “2008 में हमारे पास उत्पादन साझेदारी समझौता था। 2018 में हम पीएमएल की दिशा में आगे बढ़े। अब हमारे पास सब कुछ मौजूद है। शायद कुछ और हफ्ते लगेंगे और हम कह सकेंगे कि यह एक उपलब्धि है और उत्पादन शुरू हो जाएगा।”

मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जब राज्य अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों में सहयोग करते हैं, तो उन्हें राजस्व मिलता है। उन्होंने विभिन्न राज्यों को मिलने वाले राजस्व के आंकड़े भी बताये।

पुरी ने कहा, “इसलिए मैं काफी हद तक आश्वस्त हूं। नवीनतम कानून के आधार पर, पट्टा किराये पर स्टांप शुल्क और रॉयल्टी पर स्टांप शुल्क का यह मामला — जो खनन होने पर देय होगा और रॉयल्टी एक निश्चित राशि के रूप में राज्य सरकार को मिलेगी — सुलझ जाएगा।”

मंत्री ने कहा कि 10 और 12 दिसंबर को ओएनजीसी और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच हुए पत्राचार के आधार पर यह सौदा अंतिम रूप लेगा।

उन्होंने मूल प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया, “अस्थायी पीएमएल प्राप्त होने के बाद, पट्टा समझौते पर हस्ताक्षर के लिए आवश्यक दस्तावेज मई 2025 में पश्चिम बंगाल सरकार को सौंप दिए गए थे। इसकी स्वीकृति अभी राज्य सरकार के पास लंबित है।”

उन्होंने कहा कि केवल पट्टा समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद ही ब्लॉक से उत्पादन शुरू किया जा सकता है और उसके बाद उत्पादन को धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है।

दस दिसंबर 2025 को पश्चिम बंगाल सरकार ने ओएनजीसी को एक पत्र जारी किया, जिसमें लीज किराये या वार्षिक रॉयल्टी — जो भी अधिक हो — के आधार पर स्टांप ड्यूटी की गणना के बारे में बताया गया।

मंत्री ने जानकारी दी कि ओएनजीसी ने 12 दिसंबर को राज्य सरकार को अपना जवाब सौंप दिया है, जिसमें हाल ही में अधिसूचित पीएनजी नियमों के प्रावधानों के अनुसार स्टांप ड्यूटी लगाए जाने का अनुरोध किया गया है, जिनके तहत पूरे लीज काल के लिए किराया देय होता है और किराया ही पेट्रोलियम लीज के लिए प्रतिफल (कंसिडरेशन) होता है।

भाषा माधव अविनाश

अविनाश


लेखक के बारे में