नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर मतदान संपन्न होने के बाद सीटों की गुण गणित शुरू हो गई है। वहीं, मीडिया संस्थानों द्वारा जारी किए एग्जिट पोल के बाद से सभी राजनीतिक दलों में खलबली मची हुई है। तमाम एक्जिट पोल एक बार फिर सत्ता पर एनडीए का कब्जा दिखा रही है, लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़े कितने सटिक हैं यह तो रिजल्ट के परिणाम आने पर ही पता चलेगा। हालांकि यह माना जाता है कि एग्जिट पोल चुनाव के परिणाम की तस्वीर साफ कर देता है, लेकिन 2004 और 2014 के जनादेश ने एग्जिट पोल के दावों की पोल खोलकर रख दी थी। 2014 में केवल चाणक्य का एग्जिट पोल ही वास्तविक परिणाम के करीब रहा।
आइए हम आपको दिखाते हैं 1998 से 2014 तक का एग्जिट पोल
1998 लोकसभा चुनाव के दौरान सभी एग्जिट पोल ने भाजपा गठबंधन को 214 से 249 सीटें दिखाया था जो वास्तविक परिणाम 252 के करीब ही रहा।
1999 में भी एग्जिट पोल एनडीए को 300 से 336 दिखा रहे थे और वास्तविक परिणाम 296 में रहा था।
2004 में जब सारे एग्जिट पोल एनडीए को 248 से 290 के बीच दिखा रहे थे तब उसे केवल 159 सीटें मिली थीं। इससे साफ है कि लोगों ने पांच साल की अटल बिहारी वाजपेयी नीत एनडीए के इंडिया साइनिंग अभियान से प्रभावित थे, लेकिन आम जनता का मूड उसके उलट निकला।
2009 चुनाव के दौरान सभी एग्जिट पोल ने 180-190 सीटों के इर्दगिर्द रखा हुआ था, वहीं चुनाव परिणाम में एनडीए को 159 सीट मिले थे।
2014 में जब एग्जिट पोल एनडीए को 280-290 के इर्दगिर्द ही रखे हुए थे, तब वह 336 पर जा पहुंची। हालांकि चाणक्य ने 340 सीटें दी थी, जो कि वास्तविकता के करीब रहा।
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