जब आंदोलन की ‘पवित्रता’ नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता: तोमर

जब आंदोलन की ‘पवित्रता’ नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता: तोमर

जब आंदोलन की ‘पवित्रता’ नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता: तोमर
Modified Date: November 29, 2022 / 07:49 pm IST
Published Date: January 22, 2021 1:51 pm IST

नयी दिल्ली, 22 जनवरी (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि तीन कृषि कानूनों का क्रियान्वयन 12-18 महीनों तक स्थगित रखने और तब तक चर्चा के जरिए समाधान निकालने के लिए समिति बनाए जाने संबंधी केंद्र का किसान संगठनों के समक्ष रखा गया प्रस्ताव ‘‘बेहतर’’ और देश व किसानों के हित में है।

किसान संगठनों द्वारा सरकार के इस प्रस्ताव को खारिज किए जाने पर तोमर ने दुख जताया और उनसे इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने उनसे कहा कि आज वार्ता को पूरा करते हैं… आप अगर निर्णय पर पहुंच जाते हैं तो कल अपना मत बताइए। हम कहीं भी इकटठा हो सकते हैं, इसकी घोषणा के लिए।’’

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किसान संगठनों के साथ 11वें दौर के वार्ता असफल होने के बाद तोमर संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे।

तोमर ने कहा कि कुछ ‘‘ताकतें’’ हैं जो अपने निजी और राजनीतिक हितों के चलते आंदोलन को जारी रखना चाहती हैं।

उन्होंने कहा कि अगर किसान का हित सर्वोपरि नहीं है और दूसरे हित सर्वोपरि हो जाएंगे तो किसान के हित में निर्णय नहीं हो पाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार ने किसानों के प्रति हमेशा संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया। उनकी भी प्रतिष्ठा बढ़े। इसलिए भारत सरकार की कोशिश थी कि वह सही रास्ते पर विचार करे। इसके लिए 11 दौर की बैठक की गई। सरकार ने एक के बाद एक अनेक प्रस्ताव दिए लेकिन जब आंदोलन की पवित्रता नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि किसान संगठन सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे, उन्होंने कहा, ‘‘मैं कोई अनुमान नहीं लगाता लेकिन लेकिन मैं आशावान हूं। मुझे उम्मीद है कि किसान संगठन हमारे प्रस्ताव पर सकारात्मक विचार करेंगे।’’

तोमर ने कहा कि किसानों के हित में विचार करने वाले लोग सरकार के प्रस्ताव पर जरूर विचार करेंगे।

भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र माधव

माधव


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