नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने औषधि-प्रतिरोधी तपेदिक के निदान के लिए एक नया दिशानिर्देश जारी किया है और इसे एक ‘नवीन दृष्टिकोण’ बताया है, जिसके तहत ‘नवीनतम प्रौद्योगिकियों’ का उपयोग होता है।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस दृष्टिकोण में तपेदिक (टीबी) को खत्म करने के भारत के लक्ष्य को मजबूत करने की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इसे लोगों तक पहुंचाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने ‘तपेदिक पर डब्ल्यूएचओ के समेकित दिशानिर्देशों’ के तीसरे संस्करण में ‘नैदानिक प्रौद्योगिकियों की एक नई श्रेणी: लक्षित अगली पीढ़ी के अनुक्रमण (टीएनजीएस) परीक्षण’ के इस्तेमाल की सिफारिश की।
यह मार्गदर्शन 24 मार्च को आयोजित होने वाले ‘विश्व तपेदिक दिवस’ से पहले जारी किया गया था। यह तारीख 1882 में उस दिन को चिह्नित करती है जब डॉ रॉबर्ट कोच ने घोषणा की थी कि उन्होंने उस वीषाणु की तलाश की है जिससे टीबी होती है, जिससे इस बीमारी के निदान और इलाज का मार्ग प्रशस्त हुआ।
विशेषज्ञों ने कहा कि टीएनजीएस का उपयोग करके, आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों की तुलना में किसी व्यक्ति की दवा-प्रतिरोधक प्रोफाइल का व्यापक मूल्यांकन किया जा सकता है और उपचार को वैयक्तिक बनाने में मदद मिल सकती है।
कौशांबी के यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ और वरिष्ठ सलाहकार डॉ. छवि गुप्ता ने कहा, ‘‘सीधे शब्दों में कहें तो, एक परीक्षण का उपयोग करके, एक व्यक्ति की कई दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाया जा सकता है।’
उन्होंने कहा कि तपेदिक रोग के समय पर उपचार और प्रसार की कड़ी को तोड़ने के लिए त्वरित निदान समय की मांग है।
फार्माकोलॉजिस्ट और फाउंडेशन फॉर नेग्लेक्टेड डिजीज रिसर्च, बेंगलुरु के सीईओ श्रीधर नारायणन ने कहा, ‘‘टीएनजीएस को शामिल करने से मरीज की जरूरतों को पूरा करने के लिए निर्देशित चिकित्सा प्रदान करने में मदद मिलेगी।’’
जीनोमिक्स-आधारित डायग्नोस्टिक्स समाधान प्रदाता, हेस्टैकएनालिटिक्स की निदेशक चैताली निकम के अनुसार, इन परीक्षणों को करने के लिए डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं को पर्याप्त डेटा प्रबंधन और भंडारण, बुनियादी ढांचे से लैस करने की भी आवश्यकता होगी।
डब्ल्यूएचओ ने इस सप्ताह ब्राजील, जॉर्जिया, केन्या और दक्षिण अफ्रीका की सरकारों के साथ विकसित एक ‘मॉडलिंग’ अध्ययन भी जारी किया और जीवाणु संक्रामक रोग की जांच और निवारक उपचार को बढ़ाने में निवेश बढ़ाने की वकालत की।
भाषा सुरेश धीरज
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