आखिर सरकार को कृषि विधि निरसन विधेयक पर चर्चा से डर क्यों लग रहा है: कांग्रेस |

आखिर सरकार को कृषि विधि निरसन विधेयक पर चर्चा से डर क्यों लग रहा है: कांग्रेस

आखिर सरकार को कृषि विधि निरसन विधेयक पर चर्चा से डर क्यों लग रहा है: कांग्रेस

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:41 PM IST, Published Date : November 29, 2021/2:09 pm IST

नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) कांग्रेस ने लोकसभा में चर्चा के बिना कृषि विधि निरसन विधेयक को पारित कराए जाने को लेकर सोमवार को सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि आखिर सरकार को इस विधेयक पर चर्चा करने से डर क्यों लग रहा है?

लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक पर चर्चा करने से सरकार को परेशानी क्या है? अतीत में जितने भी कानून निरस्त किए गए हैं, उन पर चर्चा हुई है। फिर सरकार को चर्चा से क्या परेशानी है? सरकार को किस बात का डर है?’’

उन्होंने यह भी कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)की कानूनी गारंटी दी जाए और आंदोलन के समय किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लिया जाए।

कांग्रेस नेता आरोप लगाया कि संसदीय नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं।

चौधरी ने यह भी कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त किया जाना चाहिए जिनके पुत्र को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया है।

लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से कृषि कानूनों पर निरस्त करने संबंधी विधेयक पर तत्काल चर्चा एवं सरकार से जवाब की मांग करते हुए कार्यस्थगन का नोटिस दिया गया था।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘‘हमारी ओर से नियम 267 के तहत नोटिस दिया गया। हम चाहते थे कि इस विधेयक पर चर्चा हो। लेकिन लोकसभा में सरकार ने बिना चर्चा के ही इस विधेयक को पारित करा लिया।’’

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि राज्यसभा में सारी चीजों पर चर्चा हो जाए। सरकार ने दलील दी कि इससे पहले निरस्त करने संबंधी विधेयक पर कभी चर्चा नहीं हुई। जबकि पहले 17 ऐसे विधेयकों पर अतीत में चर्चा हो चुकी है।’’

खड़गे ने दावा किया कि सरकार को यह दिखाना चाहती है कि वह किसान के पक्ष में है, जबकि ऐसा नहीं है।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘तीनों कृषि विरोधी काले क़ानूनों को ना पारित करते चर्चा हुई, न ख़त्म करते हुए चर्चा हुई। क्योंकि चर्चा होती तो…हिसाब देना पड़ता, जबाब देना पड़ता… खेती को मुट्ठी भर धन्ना सेठों की ड्योढ़ी पर बेचने के षड्यंत्र का। 700 से अधिक किसानों की शहादत का। फसल का एमएसपी न देने का।’’

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा ने विपक्ष के हंगामे के बीच तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को बिना चर्चा के ही मंजूरी प्रदान कर दी।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल सितंबर महीने में केंद्र सरकार विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 लाई थी।

करीब एक साल से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की मुख्य मांग इन तीनों कानूनों को रद्द करना थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को पिछले दिनों इन कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी।

भाषा हक हक माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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