विश्व बौद्धिक संपदा दिवस क्यों मनाया जाता है, जानिए इसके पीछे का पूरा इतिहास….
विश्व बौद्धिक संपदा दिवस क्यों मनाया जाता है, जानिए इसके पीछे का पूरा इतिहास : Why is World Intellectual Property Day celebrated
विश्व बौद्धिक संपदा दिवस क्यों मनाया जाता है, जानिए इसके पीछे का पूरा इतिहास....
नई दिल्ली । विश्व बौद्धिक संपदा दिवस हर साल 26 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन बौद्धिक संपदा के महत्व और उद्देश्यों को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। विश्व बौद्धिक संपदा दिवस नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देने में बौद्धिक संपदा अधिकारों तथा पेटेंट, ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिजाइन, कॉपीराइट की भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाने का दिन है। मानव विकास के लिए यह एक आवश्यक शर्त है। लेकिन अगर किसी की रचनात्मकता को उचित सम्मान ना मिले तो कोई भी इसमें इतनी रुचि नहीं लेना चाहेगा। इसीलिए हर साल 26 अप्रैल को नवाचार एवं रचनात्मकता को बढ़ावा देने और इस संबंध में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से एक बौद्धिक संपदा अधिकार दिवस मनाया जाता है। नवीनतम अतंरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक रिपोर्ट में भारत को 55 देशों में से 42वें स्थान पर रखा गया है। इससे पहले 2021 में वह 40वें स्थान पर और 2014 में 25 देशों के आकलन में 25वें स्थान पर था।
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दुनियाभर में बौद्धिक संपदा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिहाज़ से 1967 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) का गठन किया गया था। मौजूदा वक़्त में इसके तहत 26 अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ आती हैं और 191 देश इसके सदस्य हैं। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है। भारत 1975 में WIPO का सदस्य बना था। अब सवाल उठता है कि बौद्धिक संपदा अधिकार दिवस के लिए 26 अप्रैल ही क्यों चुना गया? इसके लिए आपको बता दूं कि साल 1970 में 26 अप्रैल को ही WIPO कन्वेंशन अस्तित्व में आया था। इसीलिए साल 2000 में WIPO के सदस्यों ने इस दिन को बौद्धिक संपदा अधिकार दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया।
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बौद्धिक संपदा अधिकारों से जुड़े तमाम अंतरराष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय कंवेन्शन भी बने हैं, जिनमें औद्योगिक संपदा के संरक्षण जुड़ा पेरिस कंवेन्शन (1883), साहित्यिक और कलात्मक कामों के संरक्षण के लिये बर्न कंवेन्शन (1886) और मर्राकेश संधि (2013) आदि शामिल हैं। औद्योगिक संपदा के संरक्षण जुड़े पेरिस कंवेन्शन के तहत ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिज़ाइन आविष्कार के पेटेंट शामिल हैं। साहित्यिक और कलात्मक कामों के संरक्षण के लिये बर्न कंवेन्शन के अंतर्गत उपन्यास, लघु कथाएँ, नाटक, गाने, ओपेरा, संगीत, ड्राइंग, पेंटिंग, मूर्तिकला और वास्तुशिल्प शामिल हैं। मर्राकेश संधि के मुताबिक़ किसी किताब को ब्रेल लिपि में छापे जाने पर इसे बौद्धिक सम्पदा का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। इस संधि को अपनाने वाला भारत पहला देश है।
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