यदि बलात्कार कानून में पअपवाद लैंगिक रूप से तटस्थ हो तो क्या यह असंवैधानिक होगा: उच्च न्यायालय

यदि बलात्कार कानून में पअपवाद लैंगिक रूप से तटस्थ हो तो क्या यह असंवैधानिक होगा: उच्च न्यायालय

यदि बलात्कार कानून में पअपवाद लैंगिक रूप से तटस्थ हो तो क्या यह असंवैधानिक होगा: उच्च न्यायालय
Modified Date: November 29, 2022 / 07:45 pm IST
Published Date: January 20, 2022 9:26 pm IST

नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने पत्नी की सहमति के बगैर उससे यौन संबंध बनाने को लेकर पति को मुकदमे से बचाने वाले बलात्कार कानून के तहत प्रदत्त अपवाद से पैदा हुई चुनौती पर बृहस्पतिवार को चर्चा की। साथ ही, अदालत ने कहा कि यदि कानून लैंगिक रूप से तटस्थ हो तो क्या यह असंवैधानिक हो सकता है।

अदालत ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में रखने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान यह कहा।

भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में दिये गये अपवाद के तहत एक व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी से यौन संबंध बनाने पर, यदि पत्नी 15 साल से कम उम्र की नहीं है तो, बलात्कार नहीं माना जाएगा।

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न्यायमूर्ति राजीव शकधर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने विषय में न्याय मित्र नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन से कहा, ‘‘मान लीजिए कि आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार की परिभाषा) लैंगिक रूप से तटस्थ है और यह अपवाद कहता है कि जब दो पक्ष विवाहित हैं…आपके मुताबिक, क्या अपवाद तब भी असंवैधानिक होगा। ’’

इस पर, जॉन ने कहा, ‘‘मैं शुक्रवार को इसका जवाब देने की कोशिश करेंगी। ’’

उन्होंने अपनी दलील आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘‘वैवाहिक साथी के ‘ना’ का अवश्य ही सम्मान किया जाना चाहिए। बलात्कार खुद में एक गंभीर अपराध है। ’’

भाषा

सुभाष माधव

माधव


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