(फोटो के साथ)
सोनीपत/चंडीगढ़, चार जून (भाषा) ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने रविवार को घोषणा की कि पहलवान जल्द ही अपनी खुद की एक महापंचायत करेंगे।
हरियाणा में सोनीपत जिले के मुंडलाना में पहलवानों के समर्थन में ‘सर्व समाज समर्थन पंचायत’ को संबोधित करते हुए पूनिया ने वक्ताओं से किसी भी निर्णय की घोषणा नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा कि अगले 3-4 दिनों में पहलवान ‘महापंचायत’ बुलाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हम एक महापंचायत करेंगे और उसके लिए आह्वान करेंगे। हम जगह तय करेंगे। हम उस पंचायत के लिए सबको साथ लाना चाहते हैं, हम नहीं चाहते कि हम बंटें।’’
पूनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगट और संगीता फोगट समेत कई ओलंपिक और विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद एवं भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार किये जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
बृजभूषण शरण सिंह पर एक नाबालिग सहित कई महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है।
पूनिया ने कहा कि उनकी लड़ाई किसी जाति विशेष के लिए नहीं, बल्कि सम्मान के लिए है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि हम विभाजित रहते हैं, तो हम जीत नहीं सकते।’’
इस पंचायत में जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के प्रमुख जयंत चौधरी भी मौजूद थे।
मलिक हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मुखर आलोचक रहे हैं। मलिक ने पहलवानों की मांगों पर ध्यान नहीं देने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा और उन्होंने लोगों से अगले लोकसभा चुनाव में सरकार को सत्ता से बाहर करने का आग्रह किया।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में शुक्रवार को हुई एक अन्य ‘‘महापंचायत’’ में खाप नेताओं ने सिंह की गिरफ्तारी की मांग की थी और सरकार को इस पर कार्रवाई के लिए नौ जून तक का समय दिया था।
इसने कहा कि अगर मांग पूरी नहीं हुई तो किसान नौ जून को प्रदर्शनकारी पहलवानों को लेकर जंतर-मंतर जाएंगे।
इससे पहले किसान संगठनों ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में भी ‘‘खाप महापंचायत’’ की थी।
शुक्रवार की महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत शामिल हुए थे।
सोनीपत में हुई पंचायत में मलिक ने दिल्ली में पहलवानों के पुलिस के साथ हुए टकराव को याद किया और कहा, ‘आपने यह सब देखा है। यह देखकर मेरा खून खौलता है।’’
मलिक चुनावी राज्य राजस्थान की यात्रा करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास वहां से जीतने का कोई मौका नहीं है और राज्य के लोगों से पहलवानों के समर्थन में खड़े होने की अपील की।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल ने दावा किया कि केंद्र सरकार पहलवानों के मुद्दे पर माफी मांगने के लिए मजबूर होगी, जैसा कि कृषि कानूनों के मुद्दे पर किया गया था।
उन्होंने कहा कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दों पर कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक और लड़ाई लड़नी होगी, भले ही तीन कृषि कानूनों को रद्द कर दिया गया हो।
वर्ष 2019 के पुलवामा हमले को लेकर मलिक ने अपने दावे को दोहराते हुए फिर एक बार मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि हमला केवल इसलिए संभव हो सका क्योंकि केंद्र सरकार ने सुरक्षाकर्मियों की आवाजाही के लिए विमान देने से इनकार कर दिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने पांच विमान मांगे थे, अगर ये दिये गये होते तो उन्हें सड़क मार्ग से यात्रा नहीं करनी पड़ती… वे मुझसे पांच विमान मांग सकते थे, मैं राज्यपाल था, मैं 15 मिनट में विमान दे देता, लेकिन उन्होंने गृह मंत्रालय से विमान मांगे थे, जिसने विमान देने से इनकार कर दिया था।’’
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि पहलवानों को न्याय नहीं देने के लिए सरकार के खिलाफ लोगों में काफी गुस्सा है।
जयंत चौधरी ने आरोप लगाया कि ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा गया जहां सरकार पहलवानों के मामले में आरोपियों के समर्थन में खड़ी हो।
एक और महापंचायत के लिए पूनिया की अपील पर, हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, ‘हमारे खिलाड़ी जो भी तय करेंगे, हम उसका पालन करेंगे।’’
भाषा
देवेंद्र अविनाश
अविनाश
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