‘रिंकल्स अच्छे हैं’ : कपड़ों पर इस्त्री ना करने से कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है |

‘रिंकल्स अच्छे हैं’ : कपड़ों पर इस्त्री ना करने से कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है

‘रिंकल्स अच्छे हैं’ : कपड़ों पर इस्त्री ना करने से कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है

:   Modified Date:  May 8, 2024 / 03:51 PM IST, Published Date : May 8, 2024/3:51 pm IST

नयी दिल्ली, आठ मई (भाषा) वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने एक अनूठी पहल ‘‘रिंकल्स अच्छे हैं’’ के तहत हर सोमवार को अपने कर्मचारियों को बिना इस्त्री किए हुए कपड़े पहनने के लिए कहा है जिससे कि करीब 1,25,000 किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन से बचा जा सकता है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बंबई के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने यह जानकारी दी।

हालांकि,सीएसआईआर ने स्पष्ट किया कि उसके मुख्यालय ने अपनी प्रयोगशालाओं को ऐसा कोई सुर्कलर या आदेश जारी नहीं किया गया है जिसमें कर्मचारियों को इस्त्री किए हुए कपड़े पहनने से बचने को कहा गया हो।

सीएसआईआर ने एक पोस्ट में कहा, ‘‘23 अप्रैल 2024 को पृथ्वी दिवस समारोह के दौरान आईआईटी-बंबई के प्रोफेसर चेतन सोलंकी ने सीएसआईआर-मुख्यालय में जलवायु घड़ी स्थापित करने के बाद अपने भाषण में ऐसे विचार साझा किए थे।’’

‘रिंकल्स अच्छे है’ पहल का उद्देश्य हर किसी को ऊर्जा बचाने, पर्यावरण की रक्षा करने और जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता फैलाने के बारे में याद दिलाना है।

‘एनर्जी स्वराज मूवमेंट’ के संस्थापक चेतन सिंह सोलंकी ने कहा, ‘‘हम हर सोमवार को करीब 1,25,000 किग्रा. कार्बन उत्सर्जन कम कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के सबसे आसान समाधानों में से एक ‘कुछ न करना’ है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा ‘रिंकल्स अच्छे हैं’ (डब्ल्यूएएच/वाह) अभियान जोर पकड़ रह है। इसमें हम लोगों से सोमवार को बिना इस्त्री किए हुए कपड़े पहनने के लिए कह रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि एक जोड़ी कपड़ा इस्त्री न करके हम 200 ग्राम तक कार्बन उत्सर्जन से बच सकते हैं।

सोलंकी ने कहा, ‘‘हम लाखों लोग एक जैसा करते हैं तो बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन से बचते हैं और यह चलन बन जाता है। अभी हर सोमवार को 6,25,000 लोग इसमें शामिल हो रहे हैं। हम हर सोमवार को करीब 1,25,000 किग्रा. कार्बन उत्सर्जन से बच रहे हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि इस वर्ष के अंत तक एक करोड़ से अधिक लोग इस ‘वाह’ मंडे अभियान में शामिल होंगे।’’

एक अधिकारी ने बताया कि सीएसआईआर अपनी सभी प्रयोगशालाओं में 10 फीसदी तक बिजली खपत को कम करने की भी योजना बना रहा है।

प्रोफेसर सोलंकी ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन और उसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सीएसआईआर इमारत के शीर्ष पर भारत की सबसे बड़ी जलवायु घड़ी स्थापित की है।

भाषा गोला नरेश

नरेश

 

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