यतींद्र ने अपने पिता सिद्धरमैया की तुलना मैसूरु के शासक से की, आलोचनाओं का सामना करना पड़ा

यतींद्र ने अपने पिता सिद्धरमैया की तुलना मैसूरु के शासक से की, आलोचनाओं का सामना करना पड़ा

यतींद्र ने अपने पिता सिद्धरमैया की तुलना मैसूरु के शासक से की, आलोचनाओं का सामना करना पड़ा
Modified Date: July 26, 2025 / 07:36 pm IST
Published Date: July 26, 2025 7:36 pm IST

बेंगलुरु, 26 जुलाई (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के बेटे यतींद्र को अपने पिता के नेतृत्व में हुए कामकाज की तुलना मैसूर के पूर्व शासक नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार से करने को लेकर शनिवार को तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।

यतींद्र ने दावा किया था कि उनके पिता के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने भारत की आजादी से पहले मैसूर राज्य के राजा नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार के कार्यों को पीछे छोड़ दिया है।

कृष्णराज वाडियार के शासनकाल को व्यापक रूप से ‘‘मैसूर का स्वर्ण युग’’ कहा जाता है, जो प्रशासन में व्यापक सुधारों और विज्ञान, उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति के लिए जाना जाता है।

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उन्हें ‘‘राजर्षि’’ (संत राजा) के रूप में सम्मानित किया जाता है। वाडियार को राज्य को विकास के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए याद किया जाता है।

सिद्धरमैया ने जहां खुद अपने बेटे की टिप्पणी से दूरी बना ली, वहीं मैसूरु राजपरिवार, भाजपा और मुख्यमंत्री के राजनीतिक विरोधियों ने यतींद्र के बयान की निंदा की।

शुक्रवार को मैसूर में पत्रकारों से बात करते हुए, यतींद्र ने कहा था, ‘‘सिद्धरमैया द्वारा मैसूर के लिए जारी अनुदानों पर नजर डालें तो किसी और ने इसके लिए इतना काम नहीं किया है। नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार ने मैसूर के लिए जितना विकास किया है, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने शहर के लिए उतना ही अनुदान जारी किया है।’’

उन्होंने इन अटकलों को भी खारिज कर दिया था कि सिद्धरमैया उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के लिए रास्ता बनाने के लिए ढाई साल बाद पद छोड़ देंगे।

कांग्रेस विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) ने कहा, ‘‘कौन कह रहा है कि सिद्धरमैया पांच साल तक मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे? विपक्ष ने सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच मतभेद की कहानी गढ़ी है। पार्टी आलाकमान और विधायक उनके साथ हैं।’’

यतींद्र ने कांग्रेस नेतृत्व में एकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पार्टी और राज्य में पार्टी के हित के लिए काम कर रहे हैं। जो भी मतभेद हैं, वे मिलकर सुलझा सकते हैं। कोई और उनके बीच मतभेद पैदा नहीं कर सकता। लोग दरार पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन यह काम नहीं करेगा।’’

अपने बेटे की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शनिवार को हासन जिले के अरसीकेरे में पत्रकारों से कहा कि उनकी सरकार ने पिछली भाजपा सरकार से बेहतर प्रदर्शन किया है।

उन्होंने नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार का सीधा जिक्र करने से बचते हुए कहा, ‘‘हमने भाजपा से अधिक काम किया है। भाजपा ने कुछ नहीं किया, लेकिन हमने उससे ज्यादा किया है।’’

मैसूर से भाजपा सांसद एवं पूर्व राजपरिवार के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त वाडियार ने यतींद्र को पद पर बने रहने के असली उद्देश्य की याद दिलाई।

यदुवीर कृष्णदत्त वाडियार ने मैसूर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब किसी को सत्ता मिलती है, तो वह जनता की सेवा के लिए होती है। सत्ता में आना कोई खेल नहीं है। चाहे नलवाडी कृष्णराज वाडियार हों या देश की आजादी के बाद चुनी हुई सरकारें, सभी की जनता के प्रति जिम्मेदारियां होती हैं। कोई भी यह लक्ष्य नहीं रखता कि उसने दूसरों से ज्यादा काम किया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना है।’’

वरिष्ठ नेता एवं एमएलसी ए एच विश्वनाथ, जो मैसूर से हैं, ने टिप्पणी की निंदा की और इसे ‘‘अहंकार की पराकाष्ठा’’ बताया।

विश्वनाथ ने कहा, ‘‘यह कहना कि सिद्धरमैया की सरकार ने राजर्षि कहे जाने वाले नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार से ज्यादा काम किया है, तो यह अहंकार की पराकाष्ठा है।’’

कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता भाजपा के आर अशोक ने यतींद्र की टिप्पणी की निंदा की। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक घटिया मजाक है। क्या कृष्णराज वाडियार और सिद्धरमैया के बीच कोई तुलना हो सकती है? सिद्धरमैया सत्ता के लिए एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाते रहते हैं। इस तुलना का कोई मतलब नहीं है।’’

अशोक ने कृष्णराज वाडियार के योगदान पर प्रकाश डाला, तथा उन्हें कृष्णराज सागर बांध के निर्माण, सिंचाई प्रणाली में सुधार और राज्य में बिजली की शुरूआत का श्रेय दिया – जो भारत में पहली बार हुआ।

अशोक ने आरोप लगाया, ‘‘कर्नाटक में सामाजिक न्याय के लिए अगर किसी ने काम किया तो वह मैसूरु के शासक थे, जबकि सिद्धरमैया जातियों के बीच दरार पैदा कर रहे हैं।’’

भाषा देवेंद्र संतोष

संतोष


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