Pitru Paksha Shradh 2023: पितृ मोक्ष से जुड़ी यह मान्यताएं कर देंगी आपको भी हैरान.. जाने सनातन हिन्दू धर्म में तर्पण और अर्पण का क्या है महत्व | Pitru Paksha Shradh 2023

Pitru Paksha Shradh 2023: पितृ मोक्ष से जुड़ी यह मान्यताएं कर देंगी आपको भी हैरान.. जाने सनातन हिन्दू धर्म में तर्पण और अर्पण का क्या है महत्व

Pitru Paksha Shradh 2023 पितृ मोक्ष से जुड़ी यह मान्यताएं कर देंगी आपको भी हैरान, क्या है जाने सनातन हिन्दू धर्म में तर्पण और अर्पण का महत्व

Edited By :   Modified Date:  September 27, 2023 / 09:53 AM IST, Published Date : September 27, 2023/9:53 am IST

Pitru Paksha Shradh 2023: हिंदू धर्म में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किए जाते हैं। श्राद्ध का कर्म पितृपक्ष के दौरान किया जाता है जो इस बार 29 सितंबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर तक रहने वाले हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक पितृ पक्ष चलता है।

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इस अमावस्या को पितृ अमावस्या भी कहते हैं जिस दिन लोग पिंडदान करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा को पितृपक्ष की शुरुआत हो जाती है। पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किए जाते हैं।

29 सितंबर 2023 – पूर्णिमा श्राद्ध
30 सितंबर 2023 – प्रतिपदा श्राद्ध, द्वितीया श्राद्ध
1 अक्टूबर 2023 – तृतीय श्राद्ध
2 अक्टूबर 2023 – चतुर्थी श्राद्ध
3 अक्टूबर 2023 – पंचमी श्राद्ध
4 अक्टूबर 2023 – षष्टी श्राद्ध
5 अक्टूबर 2023 – सप्तमी श्राद्ध
6 अक्टूबर 2023 – अष्टमी श्राद्ध
7 अक्टूबर 2023 – नवमी श्राद्ध
8 अक्टूबर 2023 – दशमी श्राद्ध
9 अक्टूबर 2023 – एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर 2023 – द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023 – त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023 – चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023 – सर्वपितृ अमावस्या

Pitru Paksha Shradh 2023: पितृपक्ष का समय अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए होता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के समय सभी पूर्वज धरती पर विचरण करने आते हैं। इसलिए पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं जिससे आपको पितृ का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा पितृपक्ष में तिथि के अनुसार अपने पितृ का श्राद्ध करने सेआपको उनका आशीर्वाद मिलता है। इसलिए पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करने के साथ ही ब्राह्मण को भोजन भी करना चाहिए।

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