Kasturba Gandhi Death Anniversary: काफी संघर्षों से गुजरा है कस्तूरबा गांधी का जीवन, सात साल की उम्र में हो गई थी सगाई

Kasturba Gandhi Death Anniversary: काफी संघर्षों से गुजरा है कस्तूरबा गांधी का जीवन, सात साल की उम्र में हो गई थी सगाई

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  • Publish Date - February 22, 2023 / 01:50 PM IST,
    Updated On - March 13, 2023 / 12:26 PM IST

Kasturba Gandhi Death Anniversary: कस्तूरबा एक संपन्न परिवार की बेटी थींए जिनकी कम उम्र में ही गांधी जी से शादी हो गई और उसके बाद उनका जीवन संघर्षों में गुजरा। गांधी जी के साथ वह हमेशा खड़ी रहींए देश सेवा के काम में जुट गईं। साधारण सूती धोती पहन आश्रम में रहने लगीं। हालांकि गांधी की पत्नी होने के अलावा वह अपने व्यक्तित्व के कारण देश की बा बन गईं। आज कस्तूरबा गांधी की पुण्यतिथि है। आइए उनकी पुण्यतिथि पर जानें कस्तूरबा गांधी के जीवन से जुड़ी खास बातें।     >प्रदेश के भरोसेमंद IBC24 News Channel के साथ जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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कस्तूरबा गांधी का शादी से पहले जीवन

Kasturba Gandhi Death Anniversary: कस्तूरबा गांधी का जन्म गुजरात के काठियावाड़ जिले में 11 अप्रैल 1869 को हुआ था। उनके पिता पेशे से व्यापारी थे और परिवार संपन्न था। जब कस्तूरबा महज 13 साल की थीं तो उनकी शादी कर दी गई। सात साल की उम्र में उनकी सगाई मोहनदास करमचंद गांधी से कर दी गईए जो उनके पिता के दोस्त के बेटे थे। गांधी जी कस्तूरबा से एक साल छोटे थे।

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13 साल की उम्र में ही विवाह

कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 को पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता गोकुलदास कपाड़िया अनाज कपड़े और कपास के जाने माने व्यापरी थे और गांधी जी के पिता करमचंद के नजदीकी थे जो उस समय पोरबंदर के दीवान थे। महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी की सगाई सात साल की उम्र में हुए और 13 साल की उम्र में विवाह हुआ।

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गांधी जी और कस्तूरबा की शिक्षा

कस्तूरबा की शादी के बाद उनकी पढ़ाई बंद हो गई। वह स्कूल नहीं जा सकीं लेकिन मोहनदास ने विदेश तक जाकर शिक्षा हासिल की। जब गांधी जी को इंग्लैंड में वकालत की पढ़ाई के लिए जाना थाए तो कस्तूरबा ने अपने गहने तक बेचकर पैसे जुटाए थे। कहते हैं कि विदेश जाने से पहले तक गांधी जी घर पर ही कस्तूरबा को पढ़ाया करते थे।

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महात्मा गांधी के साथ चली गई अफ्रीका

1897 में कस्तूरबा महात्मा गांधी के साथ दक्षिण अफ्रीका चली गई। वहां गांधी जी कानून की पढ़ाई के लिए गए थे। वहां कस्तूरबा महात्मा गांधीजी के कामों में मदद करती थी। हर काम में उनका सहयोग रहता था।

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