चैत्र नवरात्रि पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Chaitra Navratri 2023 : कल से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि, कलश स्थापना से लेकर पूजा तक का शुभ मुहूर्त जानें यहां

Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च, बुधवार से हो रही है और 30 मार्च को समाप्त होगी। पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश

Edited By :   Modified Date:  March 21, 2023 / 04:27 PM IST, Published Date : March 21, 2023/4:26 pm IST

नई दिल्ली : Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च, बुधवार से हो रही है और 30 मार्च को समाप्त होगी। पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना की जाती है। इसके बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि 9 दिनों का उत्सव है जिसमें मां दुर्गा के 9 रूपों की अलग-अलग दिनों में विशेष पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में यदि भक्त मां दूर्गा की विधिवत पूजा श्रद्धा भाव के साथ करे तो उसकी मन की इचछा पूर्ण होती है। जानें चैत्र नवरात्रि 2023 की तिथि,0 कलश स्थापना का मुहूर्त, विधि, सामग्री समेत पूरी डिटेल।

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कल से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि

Chaitra Navratri 2023 : पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि के के पहले दिन घरों शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करते हैं। नौ दिन तक नौ देवी की विधि विधान से आराधना की जाती है। चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से शुरू हो रही है। नवमी तिथि 30 मार्च 2023 को है। 31 मार्च 2023 को दशमी के दिन व्रत का पारण किया जाएगा।

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चैत्र नवरात्रि 2023 तारीख

Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि प्रथम दिन (22 मार्च 2023) – प्रतिपदा तिथि, मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना
चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन (23 मार्च 2023) – द्वितीया तिथि, मां ब्रह्मचारिणी पूजा
चैत्र नवरात्रि तीसरा दिन (24 मार्च 2023) – तृतीया तिथि, मां चंद्रघण्टा पूजा
चैत्र नवरात्रि चौथा दिन (25 मार्च 2023) – चतुर्थी तिथि, मां कुष्माण्डा पूजा
चैत्र नवरात्रि पांचवां दिन (26 मार्च 2023) – पंचमी तिथि, मां स्कंदमाता पूजा
चैत्र नवरात्रि छठा दिन (27 मार्च 2023) – षष्ठी तिथि, मां कात्यायनी पूजा
चैत्र नवरात्रि सातवां दिन (28 मार्च 2023) – सप्तमी तिथि, मां कालरात्री पूजा
चैत्र नवरात्रि आठवां दिन (29 मार्च 2023) – अष्टमी तिथि, मां महागौरी पूजा, महाष्टमी
चैत्र नवरात्रि नवां दिन (30 मार्च 2023) – नवमी तिथि, मां सिद्धीदात्री पूजा, दुर्गा महानवमी, राम नवमी
(दसवें दिन नवरात्रि व्रत का पारण किया जाएगा)

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मां शैलपुत्री पूजा मंत्र

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्.
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

स्तुति: या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

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पहले दिन की जाएगी मां शैलपुत्री की पूजा

Chaitra Navratri 2023 : जीवन के समस्त कष्ट क्लेश और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग सुपारी मिश्री रखकर मां शैलपुत्री को अर्पण करें। मां शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और कन्याओं को उत्तम वर मिलता है। नवरात्रि के प्रथम दिन उपासना में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं। शैलपुत्री का पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है और अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

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चैत्र नवरात्रि 2023 कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त 22 मार्च 2023 दिन बुधवार से सुबह 6 बजकर 30 मिनट से शुरू है और उसी दिन सुबह 7 बजकर 32 तक है। इस शुभ मुहूर्त में घट स्थापना यानी कलश स्थापना करना चाहिए।

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चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना विधि

Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि मां देवी को पूरी तरह से समर्पित होते हैं। नवरात्रि के पहले ही दिन घटस्थापना यानी कलश स्थापना की जाती है। यह दिन बेहद खास होता है।कलश स्थापना शुरू करने से पहले सूर्य के उदय होने से पहले उठे और मां धरती का आशीर्वाद लेते हुए, नहाकर साफ कपड़ा पहने। जिस जगह पर कलश को स्थापित करना है उस स्थान को साफ कर लें। लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां देवी की प्रतिमा स्थापित करें। कपड़े पर थोड़े चावल रख ले. एक छोटी सी मिट्टी के पात्र में जौ रख दें। उस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बना लें और उसमें अक्षत, सिक्का, साबुत सुपारी डालकर पान के पत्ते रखें. एक नारियल ले उस पर चुनरी से लपेट लें उसे कलश से बांधे। कलश के ऊपर उस नारियल को रख लें. इसके बाद दीपक, सिंदूर, अक्षत, दही, फूल, फल आदि का आह्वान करते हुए कलश की पूजा करें। इस दिन मां देवी की पूजा तांबा की कलश से करें।

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कलश स्थापना में लगेगी ये सामग्री

Chaitra Navratri 2023 : नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करें। ऐसा कहा जाता है कि 33 कोटि देवी-देवता कलश में होते । कलश स्थापना के लिए थोड़ी सी मिट्टी, मिट्टी का ढक्कन, कलावा, नारियल, दीपक, अक्षत, हल्दी, तिलक, फूल माला, फल, मिठाई, रंगोली के लिए आटा, मिट्टी के ढक्कन, मां की प्रतिमा या तस्वीर रखने के लिए चौकी, चौकी पर लाल या फिर पीला कपड़ा पाठ के लिए दुर्गासप्तशती पुस्तक, दुर्गा चालीसा।

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