Goddess Lakshmi's blessings on Kalash Sthapana

Chaitra Navratri 2023 Kalash Sthapana: कलश स्थापना के साथ करें इन मंत्रों का जाप, पूरे साल बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा, जानें शुभ मुहूर्त

Chaitra Navratri 2023 Kalash Sthapana: कलश स्थापना के साथ करें इन मंत्रों का जाप, पूरे साल बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा, जानें शुभ मुहूर्त

Edited By :   Modified Date:  March 22, 2023 / 08:11 AM IST, Published Date : March 22, 2023/8:11 am IST

Chaitra Navratri 2023 Kalash Sthapana: हिंदू नववर्ष की शुरुआत दो बेहद शुभ योगों के साथ हो रही है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी 22 मार्च 2023 को शुक्ल शुभ योग के साथ हिंदू नववर्ष की शुरुआत दो बेहद शुभ योगों के साथ हो रही है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी 22 मार्च 2023 को शुक्ल और ब्रह्म योग बन रहे हैं। शुक्ल योग 21 मार्च को देर रात 12 बजकर 42 मिनट से 22 मार्च को सुबह 09 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस योग में किए गए कार्यों में निश्चित तौर पर सफलता मिलती है। वहीं ब्रह्म योग सुबह 9 बजकर 18 मिनट से लकर शाम 06 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। ज्योतिषियों की मानें तो इस योग में विवाद, झगड़ा सुलझाना उत्तम फलदायी माना गया है।

हिंदू नववर्ष 22 मार्च को चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होकर 30 मार्च को समाप्त हो रही है। इस बार नव वर्ष विशेष फलदायी है। इस सम्बतसर में प्रजा में आपस में सौहार्द्ध बढ़ेगा, सामान्य जनमानस में एवं शासक वर्ग में विलासिता की प्रवृत्ति बढ़ेगी। चीन की विस्तार वादी नीति के तहत दक्षिणी चीन सागर वैश्विक मुद्दा बनेगा तथा चीन को दबाय नीति भी वैश्विक मुद्दा बनेगी। जन जीवन में वैचारिक संकीर्णता बढ़ेगी। रोगों का प्रकोप बढ़ेगा। आर्थिक क्षेत्र में विफलता शासक वर्ग के संकट को बढ़ाएगी। विश्व में कहीं कादि की इस दिन राजा – बुध, मंत्री- -शुक्र है।

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कलश स्थापना विधि –

Goddess Lakshmi’s blessings on Kalash Sthapana : कलश स्थापना के लिए शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त हो कर पूजा का संकल्प लिया जाता है। संकल्प लेने के पश्चात मिटटी की वेदी बनाकर जौ बोया जाता है और इसी वेदी पर कलश की स्थापना की जाती है। घट के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा स्थापित कर पूजन किया जाता है और दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। इस दौरान अखंड दीप जलाने का भी विधान है। इन दिनों में मंत्र जाप करने से मनोकामना शीघ्र पूरी होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा की पूजा आरंभ की जाती है।

दुर्गा सप्तशती पाठ से भक्तों की कई मनोकामनाएं पूरी हो जाती है, लेकिन यदि कोई भक्त पूरा पाठ नहीं कर सकते हैं, तो शास्त्रों में उनके लिए कई तरह के विधान है। मां दुर्गा के कई मंत्रों का जाप करके उनसे मनचाहा वरदान प्राप्त कर सकते हैं। सप्तशती में कुछ ऐसे भी स्रोत एवं मंत्र हैं, जिनके विधिवत जाप से इच्छित मनोकामना की पूर्ति होती है।

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स्व कल्याण के लिए –

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥

बाधा मुक्ति और धन प्राप्ति के लिए सप्तशती का यह मंत्र जपे-

सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भव‍ष्यंति न संशय॥

आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के चमत्कारिक फल देने वाले मंत्र को स्वयं देवी दुर्गा ने देवताओं को दिया है-

देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

विपत्ति नाश के लिए-

शरणागतर्द‍िनार्त परित्राण पारायणे।
सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥

रक्षा के लिए-

शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन नरू पाहि चापज्यानिरूस्वनेन च।।

स्वर्ग और मुक्ति के लिए-

सर्वस्य बुद्धिरूपेण जनस्य हदि संस्थिते।
स्वर्गापर्वदे देवि नारायणि नमोस्तु ते।।

विघ्ननाशक मंत्र-

सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरी।
एवमेव त्याया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्‌॥

 

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