पथरी में भी फायदेमंद है योग..

पथरी में भी फायदेमंद है योग..

  •  
  • Publish Date - May 17, 2017 / 09:37 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:30 PM IST

 

अकसर हम जीवन में छोटी-मोटी बीमारियों को नजरअंदाज कर देते हैं। इन्हीं छोटी-मोटी बीमारियो में पथरी या स्टोन की समस्या भी शामिल है। यह धीरे-धीरे महानगरों में तेजी से बढ़ती जा रही है। आमतौर पर लोग पथरी की समस्या को गंभीरता से नहीं लेते हैं, लेकिन जब स्थिति गंभीर हो जाती है तो पश्चाताप के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता।

यूरिन में मौजूद साल्ट व मिनरल से मिल कर पथरी बनती है। पथरी तीन जगह पर प्राप्त होती है- गॉल ब्लेडर, किडनी तथा यूरिन तंत्र।

 

योग के द्वारा उपचार

योग मुद्रा, अग्निसार क्रिया, हलासन, धनुरासन, भुजंगासन, शलभासन, पश्चिमोत्तान आसन, सर्वांगासन, चक्रासन, कपालभाति प्राणायाम, भ्त्रिरका प्राणायाम कारगर साबित होते हैं।

 

भुजंगासन

पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। पैरों को तानकर इस तरह रखें कि तलवे ऊपर की तरफ हों। दोनों हाथों को कंधों के बराबर रखें। हथेलियों को जमीन पर टिकाकर सिर और धड़ को पीछे की ओर धीरे-धीरे उठाना है और कोहनियां मुड़ी रहेंगी। गर्दन पीछे की तरफ झुकी हुई रखें। पूरे शरीर को तान दें। कुछ देर इसी अवस्था में रहें और सांस की गति सामान्य रखें। कम से कम तीन बार इसका अभ्यास करें।

 

लाभ

कमर दर्द और गर्दन दर्द में यह रामबाण आसन है। हमारी किडनी, पेट, स्नायु पर विशेष प्रभाव डालता है। पेट की चर्बी कम करता है। कब्ज, गैस आदि में भी लाभप्रद है।

 

सावधानियां

हर्निया, अल्सर, हृदय रोगी और गर्भवती महिलाएं इसका अभ्यास न करें। ऐसे लोग विशेष परिस्थिति में इसका अभ्यास करना चाहें तो किसी योग विशेषज्ञ से जरूर सलाह ले लें।

 

पश्चिमोत्तानासन

सबसे पहले जमीन पर दोनों पैरों को फैलाकर बैठ जाएं। उसके बाद दोनों हाथों को ऊपर उठा लें। फिर श्वास छोड़ते हुए नीचे झुकते हुए दोनों हाथों की अंगुलियों से दोनों पैरों के अंगूठों को पकड़ने का प्रयास करें। दोनों पैर तने रहेंगे। अब धीरे-धीरे यह प्रयास करें कि आपका सिर घुटनों को स्पर्श करें। कुछ देर इसी अवस्था में रहें। इसका अभ्यास तीन बार अवश्य करें। जैसे-जैसे आप अभ्यस्त होते जाएंगे, अभ्यास में सुधार होता जाएगा। धीरे-धीरे आप इस आसन में एक से दो मिनट तक रुकने का प्रयास करें।

 

लाभ

यह आसन गुर्दे व जिगर को क्रियाशील बनाता है। कब्ज, गैस और पाचन संस्थान के सभी रोग दूर करता है। मूत्र संस्थान और ्त्रिरयों के प्रजनन अंगों के लिए यह रामबाण काम करता है। कमर, गर्दन, पीठ और कंधों को मजबूत बनाता है। यह बच्चों के कद बढ़ाने में भी सहायक है।

 

सावधानियां

गर्भवती महिलाएं, कमर दर्द के रोगी योग विशेषज्ञ के सान्निध्य में ही अभ्यास करें।

. दिन भर में कम से कम दो लीटर पानी जरूर पिएं।

.आहार में प्रोटीन, नाइट्रोजन तथा सोडियम की मात्रा कम करें।

. कोल्ड ड्रिंक्स और चॉकलेट, सोयाबीन, मूंगफली और पालक कम लें।

.अचार, चटनी, मांस, मछली, किचन तथा जंक फूड न लें।

 .रोज नीबू का रस गुनगुने पानी के साथ लें।