दरअसल, भारतीय टीम का यह फैसला एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के अध्यक्ष और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के वर्तमान अध्यक्ष मोहसिन नकवी से जुड़ा हुआ था। नकवी पाकिस्तान के गृहमंत्री भी हैं और उन पर भारत विरोधी रवैये के आरोप लंबे समय से लगते आए हैं। यही वजह मानी जा रही है कि भारतीय खिलाड़ियों और टीम प्रबंधन ने पहले ही यह तय कर लिया था कि यदि ट्रॉफी नकवी द्वारा दी जाएगी, तो वे उसे नहीं लेंगे।
IND vs PAK Asia Cup Final: समारोह की शुरुआत में नकवी एक ओर खड़े थे और भारतीय खिलाड़ी 15 गज की दूरी पर अपनी जगह पर खड़े थे। समारोह के आयोजकों को जैसे ही यह जानकारी मिली कि टीम इंडिया नकवी से ट्रॉफी नहीं लेगी, तो मंच पर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई। भारतीय फैंस ने भी मंच पर नकवी की उपस्थिति देखकर “भारत माता की जय” के नारे लगाने शुरू कर दिए, जिससे माहौल और भी गर्म हो गया।
मौजूद सूत्रों के अनुसार, टीम इंडिया ने आयोजकों से स्पष्ट कर दिया था कि अगर नकवी ने जबरन ट्रॉफी देने की कोशिश की, तो वे औपचारिक विरोध दर्ज कराएंगे। यह सुनकर आयोजक भी असमंजस में पड़ गए। अंततः ट्रॉफी को ड्रेसिंग रूम में ले जाया गया और समारोह बिना विजेता को ट्रॉफी दिए ही समाप्त हो गया।
IND vs PAK Asia Cup Final: इस पूरे घटनाक्रम के बीच एक और नाटकीय दृश्य देखने को मिला, जब पाकिस्तानी टीम मैच समाप्त होने के करीब एक घंटे बाद तक ड्रेसिंग रूम से बाहर नहीं आई। वहीं पीसीबी अध्यक्ष नकवी मंच पर अकेले खड़े नजर आए और उन्हें दर्शकों की ओर से “इंडिया-इंडिया” के नारों का सामना करना पड़ा। करीब 55 मिनट बाद जब पाकिस्तानी खिलाड़ी बाहर आए, तब तक स्टेडियम का माहौल पूरी तरह भारतीय टीम के समर्थन में था।
पहले से था तय
IND vs PAK Asia Cup Final: फाइनल से पहले ही यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि भारतीय टीम यदि जीतती है, तो नकवी से ट्रॉफी नहीं लेगी। यह घटना न केवल एशिया कप के इतिहास में अनोखी बन गई, बल्कि इसने खेल और राजनीति के बीच के रिश्ते पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत की इस जीत के साथ एक बड़ा संदेश भी गया — सम्मान केवल जीत का नहीं होता, बल्कि उसे किससे और कैसे स्वीकार किया जाता है, यह भी उतना ही अहम होता है।