Raipur News: रायपुर मेडिकल कॉलेज एवं अम्बेडकर अस्पताल में जटिल ट्रेकियल स्टेनोसिस बीमारी की सफल सर्जरी, नाक की हड्डी से किया ट्रैकिया के दीवाल का पुनर्निर्माण, डॉक्टर्स की टीम ने रचा कीर्तिमान

Successful surgery of complex tracheal stenosis disease: मरीज को ट्रेकियोप्लास्टी विद एंटीरियर ट्रेकियल वॉल रिकंस्ट्रक्शन (Tracheoplasty with Anterior Tracheal Wall Reconstruction) सर्जरी के माध्यम से नया जीवन मिला।

Raipur News: रायपुर मेडिकल कॉलेज एवं अम्बेडकर अस्पताल में जटिल ट्रेकियल स्टेनोसिस बीमारी की सफल सर्जरी, नाक की हड्डी से किया ट्रैकिया के दीवाल का पुनर्निर्माण, डॉक्टर्स की टीम ने रचा कीर्तिमान
Modified Date: June 20, 2025 / 08:18 pm IST
Published Date: June 20, 2025 8:06 pm IST
HIGHLIGHTS
  • समर्पण, विशेषज्ञता और सहयोग से किसी भी जटिल रोग का इलाज संभव
  • ईएनटी, प्लास्टिक सर्जरी और रेडियोडायग्नोसिस विभागों की संयुक्त टीम ने रचा कीर्तिमान

रायपुर: Raipur News, पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के डॉक्टरों की टीम ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि समर्पण, विशेषज्ञता और सहयोग से किसी भी जटिल रोग का इलाज संभव है। यह सफलता एक ऐसे मरीज के इलाज में मिली, जिसे श्वासनली में जटिल संकुचन (Subglottic Stenosis) की समस्या थी। मरीज को ट्रेकियोप्लास्टी विद एंटीरियर ट्रेकियल वॉल रिकंस्ट्रक्शन (Tracheoplasty with Anterior Tracheal Wall Reconstruction) सर्जरी के माध्यम से नया जीवन मिला। यह दुर्लभ और जटिल सर्जरी ईएनटी, प्लास्टिक सर्जरी और रेडियोडायग्नोसिस विभागों की संयुक्त टीम द्वारा सफलता पूर्वक की गई।

बिलासपुर निवासी 36 वर्षीय मरीज ने सबसे पहले सितंबर 2024 में सिम्स, बिलासपुर में असेंडिंग कोलोन परफोरेशन (Ascending Colon Perforation) की समस्या के लिए इलाज कराया। उपचार के लगभग 15 दिन बाद उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगी, जिससे सितंबर 2024 में ट्रेकियोस्टॉमी करनी पड़ी। इसके दो महीने बाद ट्रेकियोस्टॉमी ट्यूब निकाली गई और स्टोमा क्लोज़र कर दिया गया लेकिन छुट्टी के लगभग 15 दिन बाद ही मरीज को फिर से सांस लेने में परेशानी और बेचैनी होने लगी। जाँच में पाया गया कि उसे श्वासनली संकुचन (Tracheal Stenosis) हो गया है, जिसके बाद उसे रायपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।

दो चरणों में की गई जटिल सर्जरी

Raipur News, रायपुर में 24 दिसंबर 2024 को डॉ. मान्या रॉय द्वारा री-डू ट्रेकियोस्टॉमी की गई और वायुमार्ग को पुनः स्थापित किया गया। सीईसीटी (CECT (Face + Neck))स्कैन में सामने आया कि मरीज की श्वासनली में 2.4 सेमी लम्बा नलिका संकुचन और 7 मिमी की पूर्ण स्टेनोसिस थी।

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स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, 16 मई 2025 को ट्रेकियोप्लास्टी विद एंटीरियर ट्रेकियल वॉल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी की गई जिसमें नाक के सेप्टल कार्टिलेज का उपयोग कर ट्रेकिया के सामने की दीवाल को बनाया गया। यह ऑपरेशन दो चरणों में सम्पन्न हुआ, जिसमें डॉ. दक्षेश शाह (एचओडी, प्लास्टिक सर्जरी, डीकेएस), डॉ. वर्षा मुंगुटवार (प्रोफेसर, ईएनटी), डॉ. मान्या रॉय(एसो. प्रो. ईएनटी), डॉ. प्रोनब (असि. प्रो. ईएनटी) एवं डॉ. सुमन दास (पीजी)शामिल रहे।

एनेस्थीसिया टीम: डॉ. जया लालवानी, डॉ. रश्मि नायक, डॉ. मंजू टंडन, डॉ. शाहिदा, डॉ. शशांक

रेडियोलॉजिस्ट: डॉ. विवेक पात्रे और डॉ. विभा पात्रे, जिन्होंने स्टेनोसिस के स्थान और आकार की सटीक पहचान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सर्जरी के बाद की रिकवरी

सर्जरी के बाद, 26 मई 2025 को मरीज की दोबारा समीक्षा की गई, जिसमें ओरल ईटी ट्यूब हटाने, नासिक इंटुबेशन और घाव बंद (Wound Closure) की प्रक्रिया की गई। अब मरीज बिना ट्रेकियोस्टॉमी के सामान्य रूप से सांस ले पा रहा है और पूर्णतः स्वस्थ है और अच्छे से बातचीत कर पा रहा है।

समर्पित टीम वर्क की जीत

सबग्लोटिक स्टेनोसिस एक जटिल और पुनरावृत्ति करने वाली स्थिति है, जिसका इलाज चुनौतीपूर्ण होता है। अक्सर सर्जरी के बाद भी यह पुनः हो सकता है लेकिन इस केस में डॉ. दक्षेश शाह और डॉ. वर्षा मुंगुटवार के नेतृत्व में की गई सर्जरी से मरीज को पूर्ण रूप से राहत मिली है।

अब वह नियमित फॉलोअप पर है और एक सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जी रहा है। यह सफलता चिकित्सा जगत में रायपुर के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल की एक बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com