शह मात The Big Debate/ Image Credit: IBC24
शह मात The Big Debate: गुस्सा, गम,तबाही और पलायन 21वीं सदी के सीने पर बारूद से लिखी ये इबारतें डरा रही हैं। युद्धोन्माद की आंधी में जैसे पागल हो गई है दुनिया। एक युद्ध रुका नहीं कि दूसरा शुरू। एक जगह शांति हुई कि, दूसरी जगह अशांति की दुंदुभि बज उठती है। रूस और युक्रेन की जंग शांति और समझौतों की दीवारें तोड़ विनाश की नई पटकथा लिख रही है, तो इजरायल और ईरान उकसावे और तबाही के नए ज्वालामुखी को जागृत कर बैठे हैं।
एक तरफ है युद्ध में झुलसते देश, तो दूसरी ओर है युद्ध से खेलता अमेरिका एक तरफ दुनिया अग्निबाणों की शैय्या में आहत पड़ी है। तो दूसरी ओर तमाम दुष्चक्रों का रचयिता षड्यंत्रों के नए यंत्र गढ़ने में मुब्तिला है । उसकी शांति में भी साजिश है और धमकियों में शैतानी इरादों की झांकी । इस युद्धरत समय में भारत भी खड़ा है। कृष्ण की तरह निष्पक्ष अब जबकि युद्ध भारत के मुहाने पर आ खड़ा है तो भी क्या उसे रहना चाहिए तटस्थ ये प्रश्न गूंज बनकर सामने है।
शह मात The Big Debate: जंग में जलती दुनिया को क्या दे सकता है या देगा भारत गोला-बारूद और मिसाइलें या फिर वो जिसकी जरूरत दुनिया को इस वक्त है शांति और सद्भावना। तीसरी बार आलमी जंग के मुहाने पर खड़ी इस दुनिया को इस योग दिवस पर फिर भारत ने ये संदेश दिया योग का यानी जुड़ने का पूरे विश्व के कल्याण का संदेश साफ है चेतना के हिमालय का नाम है भारत, बचेगी दुनिया क्रुद्ध से न युद्ध से बल्कि शुद्ध-बुद्ध से।