दमोह के दंगल में भाजपा का किला भेद पाएगी कांग्रेस  या मोदी फैक्टर करेगा काम? पढ़िए.. | Lok Sabha Elections 2019 : Damoh lok sabha Constituency : BJP VS Congress

दमोह के दंगल में भाजपा का किला भेद पाएगी कांग्रेस  या मोदी फैक्टर करेगा काम? पढ़िए..

दमोह के दंगल में भाजपा का किला भेद पाएगी कांग्रेस  या मोदी फैक्टर करेगा काम? पढ़िए..

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:25 PM IST, Published Date : May 5, 2019/10:06 am IST

मध्य प्रदेश की दमोह लोकसभा सीट पर पांचवें चरण में मतदना होना है। इस लोकसभा सीट को भाजपा के मजबूद किले के रुप में देखा जाता है। बीते साढ़े तीन दशक से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। इस सीट पर उम्मीदवार की जीत ज्यादातर जाति के आधार पर तय होती है, लेकिन इसबार जाति के साथ मोदी फैक्टर भी चर्चाओं का विषय है। वैसे कांग्रेस इसबार भाजपा के किले को भेदने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती, इसलिए इसबार कांग्रेस ने विकास को भी बड़ा मुद्दा  बनाया है। कांग्रेस का साफ कहना है कि पीछले पांच वर्षों में न तो मोदी और न हीं मौजूदा सांसद प्रहलाद सिंह पटेल ने क्षेत्र के विकास के लिए कुछ किया है।

वैसे अगर क्षेत्र के विकास की बात करें तो दमोह को पहले भी पिछड़े क्षेत्र के रुप में देखा जाता था और आज भी देखा जाता है। ये हाल तब है जब प्रदेश में लंबे वक्त तक शिवराज के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार रही और तीन दशक से इस लोकसभा क्षेत्र में भी भाजपा का ही कब्जा है। अगर इसबार क्षेत्र में जाति और मोदी फैक्टर हावी नहीं रहा तो भाजपा की राह आसान नहीं होगी। अगर क्षेत्र के मतदाता विकास के मुद्दे पर वोट डालते हैं तो तब देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा अपने इस किले को बचाने में सफल होती है या नहीं।

विधानसभा चुनाव 2018

दमोह लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभाएं शामिल हैं। विधानसभा चुनाव में यहां आठ में से चार पर कांग्रेस जीती, एक पर बहुजन समाज पार्टी और भाजपा के खाते में मात्र तीन सीटें ही आईं। अब जहां कांग्रेस के सामने चुनौती है विधानसभा के परिणामों को दोहराने की। वहीं, भाजपा के लिए किले को बचाना नाक का सवाल है।   

लोकसभा चुनाव 2019 : प्रत्याशी

भाजपा से प्रहलाद पटेल, कांग्रेस से प्रताप लोधी, बसपा से जितेंद्र खरे व भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के मानसिंह लोधी मैदान में हैं। लेकिन टक्कर भाजपा-कांग्रेस में ही है।  

चुनावी मुद्दे

सड़क, बिजली के साथ क्षेत्र में जल संकट सबसे बड़ा मुद्दा है। वहीं, सालों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए भी अभी तक कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। हांलाकि प्रहलाद सिंह पटेल हमेशा ये मानते हैं कि उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए कई काम किए हैं, बेलाताल साफ किया, बांदकपुर में लाखों रुपए खर्च किए, गौअभयारण्य बनाया है।

दमोह लोकसभा :  जातिगत आंकड़े

जाति

 संख्या

लोधी

2,50,000

कुर्मी

2,00,000

आदिवासी

1,50,000

दलित

1,50,000

मुस्लिम

1,00,000

यादव

1,00,000

जैन, अग्रवाल

1,00,000

राजपूत, ठाकुर, ब्राह्मण, कायस्थ़ अन्य सवर्ण

2,50,000

कुशवाहा, रैकवार, सेन, कुम्हार

2,00,000

ये नेता कर चुके हैं दमोह लोकसभा से का नेतृत्व

1962 : सहोदरा बाई                    कांग्रेस
1967 : एमजेबी पटैल                   कांग्रेस
1971 : शंकर गिरी                      कांग्रेस
1977 : नरेंद्र सिंह                      बीएलडी
1980 : प्रभुनारायण टंडन              कांग्रेस
1984 : डालचंद जैन                    कांग्रेस
1989 : लोकेंद्र सिंह                     भाजपा
1991 : रामकृष्ण कुसमरिया            भाजपा
1996 : रामकृष्ण कुसमरिया           भाजपा
1998 : रामकृष्ण कुसमरिया           भाजपा
1999 : रामकृष्ण कुसमरिया           भाजपा
2004 : चंद्रभान सिंह लोधी             भाजपा
2009 : शिवराज सिंह लोधी             भाजपा
2014 : प्रहलाद सिंह पटैल             भाजपा

 

 

 
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