क्या मध्यप्रदेश में सत्ता परिर्वतन के बाद बीजेपी बचा पाएगी होशंगाबाद सीट, जानिए क्या है सियासी समीकरण

क्या मध्यप्रदेश में सत्ता परिर्वतन के बाद बीजेपी बचा पाएगी होशंगाबाद सीट, जानिए क्या है सियासी समीकरण

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  • Publish Date - May 5, 2019 / 12:26 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:06 PM IST

होशंगाबाद | मध्यप्रदेश में कुल चार चरणों में चुनाव होने हैं। पहले चरण में 6 लोकसभा क्षेत्र सीधी, शहडोल, जबलपुर, बालाघाट, मण्डला और छिंदवाड़ा में 29 अप्रैल को मतदान संपन्न हुआ। दूसरे चरण में सात लोकसभा क्षेत्र टीकमगढ़, दमोह, सतना, रीवा, खजुराहो, होशंगाबाद और बैतूल लोकसभा क्षेत्र में 6 मई को मतदान होना है। तीसरे चरण में आठ संसदीय क्षेत्रों मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल और राजगढ़ में 12 मई मतदान तिथि है। चौथे और अंतिम चरण में आठ लोकसभा क्षेत्रों देवास, उज्जैन, इंदौर, धार, मंदसौर,रतलाम, खरगोन और खंडवा में 19 मई को मतदान होगा। मतगणना 23 मई को होगी। आज हम बात करत हैं होशंगाबाद लोकसभा क्षेत्र की।
 
इतिहास के नजरिए से देखें तो होशंगाबाद को नर्मदा किनारे मांडू (मालवा) के द्वितीय राजा सुल्तान हुशंगशाह गौरी द्वारा पंद्रहवीं शताब्दी के आरंभ में बसाया गया था। होशंगाबाद का प्राचीन नाम नर्मदापुरम है, लेकिन कांलांतर में नर्मदापुरम के शासक होशंगशाह के नाम पर इसका नाम होशंगाबाद कर दिया गया। होशंगाबाद में मुख्यत: गेहूं और सोयाबीन की खेती की जाती है।

होशंगाबाद का सियासी समीकरण

होशंगाबाद का राजनीति में खास महत्व है। होशंगाबाद लोकसभा सीट 1989 से भाजपा का गढ़ है। 1989 से लेकर 2004 तक भाजपा को यहां से 6 बार जीत मिली है, लेकिन इससे पहले तक यह कांग्रेस का अभेद्य गढ़ था। इस अभेद्य गढ़ को बीजेपी के लिए भेदने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटलबिहारी वाजपेयी को जाता है, जिनकी 1989 में बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में ली गई एक जनसभा ने सत्ता पलट कर दिया था। उनका जलवा आज भी बरकार है।
 
होशंगाबाद लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1951 में हुआ और पहली बार कांग्रेस को जीत मिली। 1952 में उपचुनाव हुआ, इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार एचवी कामथ ने जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में एचवी कामथ ने कांग्रेस से यह सीट छीन लिया, लेकिन 1957 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा वापसी कर ली। 1962 में इस सीट पर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को जीत मिली। 1967 में कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की और दौलत सिंह यहां से सांसद बनें। 1971 में भी यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। आपातकाल के बाद हुए 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल ने इस सीट पर जीत दर्ज की। 1980 और 1984 में कांग्रेस ने फिर से वापसी की और बंपर जीत हासिल की।

होशंगाबाद संसदीय सीट में 8 विधानसभा

होशंगाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की आठ सीटें आती हैं, जिसमें नरसिंहपुर, सिवनी-मालवा, पिपरिया, तेंदूखेड़ा, होशंगाबाद,उदयपुरा, गाडरवारा, सोहागपुर विधानसभा सीटें शामिल हैं। वर्तमान में चार सीट पर भाजपा और चार सीट पर कांग्रेस का कब्जा है।
 

लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा की हुई थी बंपर जीत

2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उदय प्रताप सिंह ने कांग्रेस के देवेंद्र पटेल को पराजित किया था। इस चुनाव में उदय प्रताप सिंह को 6,69,128 वोट मिले थे। दूसरे नंबर कांग्रेस के देवेंद्र पटेल थे, जिनको 2,79,168 वोट हासिल हुए थे। हार-जीत का अंतर 3,89,960 वोटों का था।
 

2009 में कांग्रेस ने का था कब्जा

2009 के चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट को भाजपा से छीन लिया, लेकिन 2014 में मोदी लहर का असर यहां पर भी देखा गया और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में पहुंचे उदय प्रताप सिंह ने जीत हासिल की। इसके अलावा उदय प्रताप सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे, उनका अपना जनाधार भी था। जिसकी वजह से दोनों प्रत्याशियों के हार-जीत का अंतर भी बहुत अधिक था। इस बार होशंगाबाद सीट से कांग्रेस ने शैलेन्द्र दीवान को चुनाव मैदान में उतारा है। शैलेंद्र दीवान बोहानी नरसिंहपुर के रहने वाले हैं। फिलहाल वो कांग्रेस की राज्य कमेटी में सचिव पद पर हैं। 
 

जातिगत समीकरण

2014 के आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर कुल 15,68,127 मतदाता हैं, जिसमें 8,35,492 पुरुष और 7,32,635 महिला मतदाता हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार होशंगाबाद सीट पर 25 से 26 प्रतिशत ब्राह्मण हैं। 20 से 22 प्रतिशत ठाकुर मतदाता हैं। 30 से 32प्रतिशत ओबीसी मतदाता हैं। 8 से 9 प्रतिशत वैश्य मतदाता हैं। 5 से 8 प्रतिशत अनुसूचित जाति के और 5 से 6 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के मतदाता हैं। 3 से 5 प्रतिशत मुस्लिम और 2 से 4 प्रतिशत सिख मतदाता हैं। होशंगाबाद में चुनाव 6 मई को होंगे और नतीजे 23 मई को घोषित किए जाएंगे।