Krishna Janmashtami
अरुण मिश्रा, दतिया:
Krishna Janmashtami: दतिया शहर को मिनी वृंदावन के नाम से जाना जाता है। यहां कान्हा के तमाम मंदिर हैं। जिनमें बिहारी जी का मंदिर, छोटे गोविंद जी का मंदिर, राधा बल्लभ जी का मंदिर एवं बड़े गोविंद जी का मंदिर शहर में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। बड़े गोविंद जी को मुगल काल में लाकर दतिया में प्रतिष्ठित कराया गया था। कहा जाता है कि दतिया के तत्कालीन शासक इंद्रजीत सिंह की बहन प्रकाश कुंवर विधवा हो गई थी और वह दतिया में रहने लगी थी। प्रकाश कुंवर बिहारी जी की भक्त थी। इस समय मुगल शासक औरंगजेब का आतंक था। वह मठ, मंदिर और मूर्तियों को तोड़ रहा था।
तभी निंबार्क संप्रदाय के संत के साथ प्रकाश कुंवर बड़े गोविंद जी को दतिया लाए थे और दतिया के बड़े बाजार में इन्हें प्रतिष्ठित कराया गया था। आज जन्माष्टमी पर सुबह से ही गोविंद जी को दूध, दही एवं पंचगव्य से अन्न कराया जाता है। इसके बाद उन्हें राजभोग लगाने के बाद प्रिय प्रीतम श्री राधे जी से अलग प्रतिष्ठित कराया जाता है। इसके बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। शाम को भगवान के जन्म के बाद महाआरती के पश्चात जन्मोत्सव का उत्सव मनाया जाता है।
Krishna Janmashtami आज दतिया के सभी मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण के जन्म की धूम है मंदिर को विशेष प्रकार से सजाया गया है और शाम के समय भगवान के जन्मोत्सव के बाद महाआरती और महाप्रसाद का वितरण का कार्यक्रम रखा गया है। भगवान गोविंद जी को पंचगव्य और पंचामृत तथा दूसरे स्नान करने के बाद राजभोग कराने के पश्चात विश्राम कर दिया गया है। शाम के समय भगवान के जन्मोत्सव के बाद महा आरती होगी महा आरती के बाद महा प्रसाद का वितरण होगा और धूमधाम से भगवान का कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
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