International Women's Day 2025/Image Credit: freepik.com
नई दिल्ली: Women’s day, हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिला दिवस नारी सशक्तिकरण और समानता का प्रतीक है। इस बार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस शनिवार को मनाया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 का थीम “Accelerate Action” है। यह केवल एक दिन नहीं, बल्कि महिलाओं की उपलब्धियों, संघर्षों और अदम्य साहस का जश्न मनाने का अवसर है। सदियों से महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है। फिर चाहे वो अंतरिक्ष की ऊंचाइयां हो या समाज में बदलाव लाने की जमीनी लड़ाई। महिला दिवस सिर्फ बधाइयों तक सीमित नहीं, बल्कि उन प्रयासों को तेज करने का आह्वान है, जो महिलाओं को उनके अधिकार, सम्मान और अवसर दिलाने में मदद करें। 2025 की थीम “Accelerate Action” इस संदेश को और मजबूत बनाती है कि अब समय केवल सोचने का नहीं, बल्कि तेजी से बदलाव लाने का है।
International Women’s Day 2025: इस साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की थीम जो “Accelerate Action” रखी गई है। इस थीम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को समानता दिलाने की प्रक्रिया को तेज करना है। ये थीम सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं को आने वाली चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करती है और ठोस कदम उठाने पर जोर देती है। इसका मतलब है कि केवल चर्चा करने के बजाय अब महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। इसके तहत उन नीतियों और योजनाओं को लागू करने की आवश्यकता है, जो महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और निर्णय लेने की शक्ति प्रदान कर सकें।
International Women’s Day 2025: बता दें कि, 8 मार्च को महिला दिवस मनाने की शुरुआत 1917 में रूस की महिलाओं द्वारा किए गए प्रदर्शन के बाद से हुई। उस समय रूस में जूलियन कैलेंडर प्रचलित था, जिसके अनुसार फरवरी का अंतिम रविवार 23 फरवरी को पड़ा, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से 8 मार्च था। महिलाओं ने ‘ब्रेड और पीस’ (रोटी और शांति) की मांग करते हुए प्रदर्शन किया, जिसने रूसी क्रांति की नींव रखी। इस आंदोलन के बाद जार शासन समाप्त हुआ और महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला। इस ऐतिहासिक घटना के कारण 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में चुना गया।
International Women’s Day 2025: महिला दिवस केवल महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लैंगिक समानता और महिला अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी जरिया है। यह दिन महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है। घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर भेदभाव और असमानता के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करता है। समाज में महिलाओं की भागीदारी और निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत करने की दिशा में काम करता है।