Spinal Muscular Atrophy : ये है दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी, करोड़ों रुपए के इंजेक्शन से होता है उपचार, शरीर के इस अंग को होता है काफी नुकसान

Spinal Muscular Atrophy: इस बीमारी की वजह से बच्चे के शरीर की मांसपेशियां कमजोर होने लगती है। हाथ पैर काम करना बंद कर देते हैं।

Spinal Muscular Atrophy : ये है दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी, करोड़ों रुपए के इंजेक्शन से होता है उपचार, शरीर के इस अंग को होता है काफी नुकसान

Spinal Muscular Atrophy

Modified Date: September 13, 2023 / 09:03 pm IST
Published Date: September 13, 2023 9:03 pm IST

Spinal Muscular Atrophy : नई दिल्ली। जीवन में ऐसी कई बीमारियां देखने को मिलती है जिनसे हम परे होते हैं एवं जानते भी नहीं है। वहीं कई बीमारियां ऐसी होती हैं जिनका इलाज काफी महंगा होता है। ऐसी ही एक बीमारी है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी। ऐसी ही एक बीमारी से दिल्ली का रहने वाला एक बच्चा जूझ रहा है। ये ऐसी बीमारी है जिसका इलाज इतना महंगा है कि आम इंसान इसके बारे में सोच भी नहीं सकता। लेकिन कनक की मदद के लिए लोगों ने काफी सपोर्ट किया। ऑनलाइन क्राउडफंडिंग के जरिए इलाज में खर्च होने वाली रकम जुटाई गई। इससे करीब 11 करोड़ रुपये जमा हो गए।

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Spinal Muscular Atrophy : इस बीमारी के इलाज में लगने वाला इंजेक्शन 18 करोड़ रुपये का आता है, लेकिन दवा कंपनी ने करीब 11 करोड़ में ही इंजेक्शन दे दिया और कनव का जीवन बच गया। अब आप सोच रहे होंगे कि ये ये कैसी बीमारी है जिसका एक ही इंजेक्शन 18 करोड़ रुपये में आता है। तो चलिए हम बताते हैं आज इस खतरनाक बीमारी के बारे में पूरी जानकारी।

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स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी एक जेनेटिक डिजीज है. जो माता-पिता से बच्चे में आती है। इस बीमारी का एक मात्र इलाज Zolgensma इंजेक्शन है, जिसकी कीमत 18 करोड़ रुपये है। यही कारण है कि इस बीमारी से पीड़ित होने वाले अधिकतर बच्चे दम तोड़ देते हैं। स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी पैदा होने के साथ ही हो जाती है। इसका किसी दवा से इलाज भी नहीं होता।

शरीर के इस अंग को होता है काफी नुकसान

इस बीमारी की वजह से बच्चे के शरीर की मांसपेशियां कमजोर होने लगती है। हाथ पैर काम करना बंद कर देते हैं। ये बीमारी बच्चे की नर्व सेल्स के साथ-साथ रीढ़ की हड्डी को भी नुकसान पहुंचाने लगती है और इस वजह से चलना-फिरना और यहां तक की किसी से बात करना तक मुश्किल हो जाता है। गंभीर मामलों में ये डिजीज सांस लेने की क्षमता को भी प्रभावित कर देती है, जो बाद में मौत का कारण भी बन सकता है।

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लक्षण

जिन बच्चों को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 की बीमारी होती है। उनकी मांसपेशियां काफी ज्यादा कमजोर हो जाती हैं और सामान्य गतिविधियां भी नहीं कर पातीं। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों के शरीर में पानी की कमी होने लगती है और तो और उन्हें सांस लेने भी दिक्कत महसूस होने लगती है।

हाथ पैरों का कमजोर होना

चलने-फिरने में परेशानी

खाना न निगल पाना

सांस लेने में परेशानी

मांसपेशियों में दर्द

 

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लेखक के बारे में

Shyam Bihari Dwivedi, Content Writter in IBC24 Bhopal, DOB- 12-04-2000 Collage- RDVV Jabalpur Degree- BA Mass Communication Exprince- 5 Years