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रायपुर: शपथ लेने के बाद पीएम मोदी ने धीरे-धीरे अपने 30 दिन पूरे कर लिए हैं। इस वक़्त पीएम रूस के दौरे पर हैं जहां उन्होंने अपने इस टर्म को लेकर तीन बातें कही। उन्होंने दोहराया कि जब वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे तो तीन गुनी मेहनत से काम करेंगे, तीन गुनी रफ़्तार से अपने काम को अंजाम देंगे। उन्होंने आज कहा, इस संकल्प की शुरुआत उन्होंने कर दी हैं और अपने तीसरी पारी में वह देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनाकर ही दम लेंगे। (The Big Picture With RKM) इसके साथ ही यह संकल्प भी लिया कि वह देश के गरीबों के लिए तीन करोड़ से ज़्यादा मकान बनाएंगे और इसी तरह तीन करोड़ दीदी बनवाने का लक्ष्य भी उन्होंने सामने रखा। पीएम मोदी ने अपने संकल्पो को दोहराते हुए यह भी बताया कि दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इको सिस्टम की संरचना भी उनके लक्ष्य में हैं। तो इस तरह उन्होंने अपने तीसरे टर्म के 30 दिनों को तीन-तीन हिस्सों में जोड़ा।
लेकिन उनके सामने यह तीन ही नहीं बल्कि तेरह नई चुनौतियां खड़ी हैं। इनमें पीएम मोदी की सबसे बड़ी चुनौती है आने वाला केंद्रीय बजट। यह बजट एनडीए का होगा लिहजा दोनों ही प्रमुख सहयोगी दल अपने राज्यों के लिए विशेष दर्जे की मांग कर चुके हैं। वे हाल में यह प्रयास करेंगे कि इस बजट में उनके राज्यों के लिए स्पेशल स्टेटस का ऐलान हो जायें। तो इस तरह एक मनमोहक बजट पेश करते हुए पीएम मोदी को जनता के साथ ही अपने गठबंधन दलों को भी संतुष्ट करना एक बड़ी चुनौती होगी।
उनकी दूसरी सबसे बड़ी चुनौती चुनावी है। आने वाले दिनों में तीन राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इनमे पहला राज्य है महाराष्ट्र। महाराष्ट्र की सियासत में इस बार तीन-तीन गठबंधन चुनावी मैदान में होंगे। पिछले चुनाव में बीजेपी नीत एनडीए ने यहां खराब प्रदर्शन किया जबकि महाराष्ट्र भाजपा के लिए यह उन राज्यों में शामिल रहा है जहां पार्टी के लिए चुनावी नतीजे हमेशा बेहतर रहे है। हालांकि उनका यह पुराना प्रदर्शन पुरानी शिवसेना के साथ रही जिसे भाजपा ने तोड़ दिया। इसी तरह एनसीपी भी टूट चुकी है। तो इस तरह से पीएम मोदी के लिए महाराष्ट्र में पुराने प्रदर्शन को दोहरा पाने की बड़ी चुनौती सामने होगी।
बात करें दूसरी राज्य हरियाणा की तो यहां भी भाजपा की हालत काफ़ी खराब हैं। लोकसभा चुनाव से पहले यहां बीजेपी के पास 10 सीटें थी जो अब 5 पर आकर सिमट गई हैं। इस तरह हरियाणा की स्थिति भी भाजपा के लिए काफ़ी चिंताजनक हैं।
तीसरा और आखिरी राज्य है झारखंड जहां बीजेपी के लिए कुछ उम्मीदें है। संभव है यहां पार्टी अपने झंडे गाड़ दे। तो यह थी तीन राज्यों की चुनावी चुनौतियां। लेकिन सितम्बर से पहले जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव है। यहां भी बीजेपी के सामने बड़ी चुनौतियाँ सामने खड़ी हैं। घाटी में बीजेपी की स्थिति को इस बात से ही समझा जा सकता है कि उन्होंने बीते लोकसभा चुनाव में श्रीनगर सीट पर अपने उम्मीदवार ही खड़े नहीं किये। लेकिन सवाल सिर्फ़ यही नहीं बल्कि कश्मीर में बढ़ता आतंकवाद भी भाजपा के लिए बड़ा चैलेंज हैं। पिछले कुछ समय से घाटी में आतंकी घटनायें बढ़ी है। (The Big Picture With RKM) चिंता की बात यह भी है कि यह घटनायें उन इलाकों में हुई है जहां से कभी आतंकियों को खदेड़ा जा चुका था। आतंकी हमलों में हमले पिछले दिनों अपने कई जवानों को खोया है। जाहिर है विपक्ष भी इन घटनाओं को लेकर सरकार एक खिलाफ मुखर है, जो कि पीएम मोदी और उनकी सरकार के लिए बड़ा चैलेंज है।
इन सबसे इतर पीएम मोदी के लिए एक चुनौती युवाओं को लेकर भी हैं। कही युवा उनसे छिटक न जायें। लगातार पेपर लीक जैसे मामलों से देश का युवा परेशान हैं। नीट का प्रकरण अब भी अनसुलझा हैं। इसी तरह अग्निवीर का मुद्दा फिर से उछाल दिया गया है। युवा अग्निवीर से सहमत नहीं है जबकि विपक्ष भी इस मुद्दे को ख़ूब हवा दे रही है। तो इस तरह के जो मुद्दे हैं, खासकर युवाओं से जुड़े, उनपर पीएम मोदी और उनकी सरकार को मजबूती से फैसले लेने होंगे वरना विपक्ष के दो युवा राहुल गांधी और अखिलेश यादव इन मुद्दों के साथ युवाओं को भी अपने पाले में कर लेंगे।
पीएम के सामने दो और चुनौतियों है वह हैं महंगाई और बेरोजगारी की। हाल के दिनों में हर ज़रूरी और रोजमर्रा के सामानों के दाम बढ़े हैं। फिर चाहे वह सब्जी हो दाल या तेल। इसी तरह बेरोजगारी के मुद्दे पर भी विपक्ष काफ़ी आक्रामक हैं। लिहाजा पीएम को चाहिए कि आने वाले बजट में किस तरह महंगाई कम हो और बेरोजगारी के आंकड़ों में सुधार हो इस पर तीन गुनी ताकत से काम करना होगा।
लेकिन इन सबसे बड़ी जो चुनौती प्रधानमंत्री के सामने है वह है मज़बूत विपक्ष और इस विपक्ष के नेता राहुल गांधी। राहुल गांधी जननायक बनने की राह में निकल चुके है। वे लगातार जनता के बीच जाकर उनके मुद्दों पर बातें कर रहे हैं। वे लगातर देशभर के दौरे कर रहे हैं। रायबरेली गए, मणिपुर में लोगों से भेंट की। ऐसे में उनसे निबटने का चैलेंज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने होगा। तो इस तरह इन चुनौतियों से निबटने के लिए पीएम को तीन गुनी अधिक मेहनत करनी होगी, तीन गुनी रफ़्तार से काम करना होगा। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इन संकटो से पीएम उबर पाते हैं या फिर विपक्ष उनपर हावी होता हैं।