SarkarOnIBC24: महाकौशल का लाल Sharad Yadav..जिसने तोड़ा कांग्रेस का 'तिलिस्म', Jabalpur से जीतकर भेदा Congress का 'दुर्ग' | Jabalpur Lok Sabha Chunav 2024

SarkarOnIBC24: महाकौशल का लाल Sharad Yadav..जिसने तोड़ा कांग्रेस का ‘तिलिस्म’, Jabalpur से जीतकर भेदा Congress का ‘दुर्ग’

Jabalpur Lok Sabha Chunav 2024: महाकौशल का लाल Sharad Yadav..जिसने तोड़ा कांग्रेस का 'तिलस्म', Jabalpur से जीतकर भेदा Congress का 'दुर्ग'

Edited By :   Modified Date:  March 30, 2024 / 11:51 PM IST, Published Date : March 30, 2024/11:51 pm IST

जबलपुर: Jabalpur Lok Sabha Chunav 2024 : चुनावी खबरों के खास बुलेटिन सरकार में अब हम आपको मध्यप्रदेश की सियासत से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा सुनाते हैं। ये किस्सा महाकौशल के मुख्यालय जबलपुर शहर का है। जहां का एक युवा छात्रा नेता देश की सियासत पर छा गया। दरअसल हम बात कर रहे हैं शरद यादव की। जिन्होंने 1974 में जबलपुर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस को धूल चटाकर सबको चौका दिया था। शरद यादव को जबलपुर में कांग्रेस का तिलिस्म तोड़ने के लिए याद किया जाता है।

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Jabalpur Lok Sabha Chunav 2024 मध्यप्रदेश ने देश को कई राष्ट्रीय स्तर के नेता दिए। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया, अर्जुन सिंह, कमलनाथ, सुरेश पचौरी और दिग्विजय सिंह इन नामों की लंबी फेहरिस्त है। लेकिन इन नामों से अलग एक नाम शरद यादव का भी है। आज की पीढ़ी को कम ही पता होगा कि शरद यादव मध्यप्रदेश के होशंगाबाद से आते हैं उन्होंने जबलपुर से अपनी सियासी पारी की शुरुआत की। लेकिन यूपी बिहार की राजनीति से पूरे देश में अपनी धाक जमाई।

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शरद यादव को अपनी पहचान बनाने का मौका साल 1974 में मिला। जब कांग्रेस सांसद सेठ गोविंद दास के निधन से जबलपुर लोकसभा सीट खाली हो गई। कांग्रेस ने गोविंद दास के पोते रविमोहन को मैदान में उतारा। उन्हें टक्कर देने के लिए विपक्षी पार्टियां ने 27 साल के शरद यादव को अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाया। जानकार बताते हैं कि किसी को उनकी जीत की उम्मीद नहीं थी। लेकिन शरद यादव ने सबको चौका दिया।

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शरद यादव ने 1974 के बाद 1977 में दोबारा जबलपुर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की, लेकिन 1980 में वो इसी सीट से चुनाव हार गया। शरद यादव ने इसके बाद यूपी-बिहार की सियासत का रुख कर लिया। वो यूपी की बदायूं और बिहार की मधेपुरा सीट से कई बार लोकसभा में पहुंचे। 7 बार सांसद चुने गए और राज्यसभा सदस्य भी रहे। केंद्र सरकार के कई अहम मंत्रालयों को संभाला। एनडीए के संयोजक के साथ जनता दल यूनाईटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे।

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शरद यादव का निधन भले 12 जनवरी 2023 को हो गया हो। लेकिन उनकी विरासत को भुलाया नहीं जा सकता। जब देश में कांग्रेस का एकछत्र राज था तब शरद यादव विपक्ष का चेहरा बनकर उभरे। जेपी आंदोलन ने उन्हें अलग पहचान दिलाई। जबलपुर शहर से उनका गहरा नाता रहा। इसी शहर ने उनके रूप में देश को राष्ट्रीय स्तर का समाजवादी सोच वाला नेता दिया।

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