Another big revelation in Indore's Government Law College dispute

‘कट्टरता’ का कॉलेज.. नया चैप्टर! विवादित साहित्य के बाद संदिग्ध फैकल्टी! क्या किसी रणनीति के तहत फैलाई जा रही थी कट्टरता

'कट्टरता' का कॉलेज.. नया चैप्टर! विवादित साहित्य के बाद संदिग्ध फैकल्टी! Another big revelation in Indore's Government Law College dispute

Edited By :   Modified Date:  December 8, 2022 / 11:49 PM IST, Published Date : December 8, 2022/11:49 pm IST

दीपक यादव/ इंदौरः Indore’s Government Law College dispute आज के दौर में बच्चों को कॉलेज में पढ़ने भेजने से पहले ये जान लेना जरूरी है कि वहां पढ़ाई के नाम पर कोई पर्सनल एंजेडा तो नहीं चल रहा है। दरअसल मध्यप्रदेश के इंदौर के सरकारी लॉ कालेज में यही हो रहा था। वहां ऐसी किताबें पढ़ाई जा रही थी। जो आपको नफरत की ओर ले जाती हैं और पढ़ाने वाले प्रोफेसर धर्मिक कट्टरता फैलाने का काम कर रहे थे।

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Indore’s Government Law College dispute इंदौर के सरकारी लॉ कॉलेज विवाद में हर दिन नए नए खुलासे हो रहे है। अब यहां केवल विवादित किताब का मसला नहीं है। बल्कि छात्रों ने जांच कमेटी को कॉलेज में गेस्ट फैकल्टी के तौर पर पदस्थ दो प्रोफेसर्स की संदिग्ध भूमिका के भी सबूत पेश किए हैं। एसिस्टेंट प्रोफेसर डॉ फिरोज अहमद मीर और सोहेल अहमद वानी पर आरोप है कि वो कॉलेज में धार्मिक कट्टरता फैलाने के साथ ही केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ छात्रों को बरगलाने का काम कर रहे ।

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दरअसल डॉ. फिरोज अहमद मीर ने जम्मू कश्मीर में धारा 370 को हटाने का विरोध करते हुए 5 अगस्त को ब्लैक डे वाली पोस्ट की थी. इसके अलावा नई शिक्षा नीति के विरोध में हस्ताक्षर अभियान चलाया था। इसके साथ ही सोहेल अहमद वानी जम्मू कश्मीर के अखबार में कई विवादित लेख लिख चुके है। हालांकि, छात्रों की शिकायत के चलते सभी संदिग्ध प्रोफेसर को निलंबित तो कर दिया गया है। लेकिन जो तरह के सबूत पेश किए गए है। उसे लेकर अब पुलिस भी अलग अलग एंगल पर जांच कर रही है।

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पुलिस इधर जांच का दावा कर रही है. लेकिन मामले में भी सियासत चरम पर है, कांग्रेस जहां निष्पक्ष जांच की मांग रही है वहीं, जबकि बीजेपी इसे साजिश बता रही है फिलहाल, पुलिस ने विवादित लेखिका डॉ फरहत खान को गिरफ्तार कर नोटिस देकर कोर्ट में पेश होने के लिए आदेश दिए है। साथ ही अन्य लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है लेकिन निलंबित प्रोफेसर्स के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

 

 
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