Balaghat Naxal Surrender: हार्डकोर महिला नक्सली सुनीता ओयाम ने किया आत्मसमर्पण, बंदूक छोड़ थामा संविधान का दामन, तीन राज्यों में थी इतने लाख रूपए का इनाम
Balaghat Naxal Surrender: हार्डकोर महिला नक्सली सुनीता ओयाम ने किया आत्मसमर्पण, बंदूक छोड़ थामा संविधान का दामन, तीन राज्यों में थी इतने लाख रूपए का इनाम
Balaghat Naxal Surrender/Image Source: IBC24
- गन छोड़कर कलम की राह पर
- हथियार छोड़कर सुनीता ओयाम ने किया आत्मसमर्पण
- तीन राज्यों में थी 14 लाख की इनामी
बालाघाट: Balaghat Naxal Surrender: नक्सल मोर्चे पर एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। एमएमसी जोन की हार्डकोर सशस्त्र महिला नक्सली सुनीता ओयाम ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय और मध्यप्रदेश सरकार की कड़ी और संवेदनशील नीति का यह बड़ा परिणाम माना जा रहा है। सुनीता पर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में कुल 14 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ जोन में रही सक्रिय
1 नवंबर को थाना लांजी के चौरिया कैंप में सशस्त्र नक्सली सुनीता पिता बिसरू ओयाम, निवासी गोमवेटा, जिला बीजापुर (छत्तीसगढ़) ने बालाघाट पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया। सुनीता नक्सली संगठन में एरिया कमांडर (एसीएम) के पद पर थी और इंसास राइफल सहित हथियारबंद दल में सक्रिय रूप से शामिल थी। वह मलाजखंड-दर्रेकसा दलम के तहत एमएमसी (मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़) जोन में सक्रिय रही और कई नक्सली गतिविधियों में भाग ले चुकी थी। सुनीता वर्ष 2022 में संगठन से जुड़ी थी। छत्तीसगढ़ के माड़ क्षेत्र में छह महीने का सशस्त्र प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उसने सेंट्रल कमेटी सदस्य (सीसीएम) रामदेर की गार्ड के रूप में काम किया।
समर्पण करो जीवन सुधारो अभियान
Balaghat Naxal Surrender: सरकार और पुलिस की लगातार अपील समर्पण करो जीवन सुधारो अभियान के तहत सुनीता ने हथियार छोड़कर संविधान और लोकतंत्र पर विश्वास जताया। यह आत्मसमर्पण मध्यप्रदेश आत्मसमर्पण, पुनर्वास एवं राहत नीति 2023 के अंतर्गत पहला आत्मसमर्पण है। साथ ही 1992 के बाद यह पहला मौका है जब किसी अन्य राज्य की महिला नक्सली ने मध्यप्रदेश शासन के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। मध्यप्रदेश पुलिस ने पिछले 10 महीनों में 1.46 करोड़ रुपये के इनामी नक्सलियों को निष्क्रिय किया है। सरकार की सॉफ्ट टच अप्रोच और लगातार चल रहे पुलिस आउटरीच प्रोग्राम का यह प्रत्यक्ष परिणाम माना जा रहा है। बालाघाट पुलिस की पहल और सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों का असर अब साफ़ नजर आने लगा है।
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